चंडीगढ़ June 29, 2010
अत्यधिक गर्मी, नहरों में पानी की कमी और बी टी बीजों ने मिलकर पंजाब में कपास के रकबे पर असर डाला है। नतीजतन राज्य कपास की खेती के अपने लक्ष्य से पीछे छूट गया है। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इस सत्र में कपास का कुल रकबा 5।325 लाख हेक्टेयर रहा है।सिंचाई वाली नहरों में पानी की कमी और जरूरत से ज्यादा गर्मी के चलते पंजाब में कपास बुआई कुछ हफ्ते देर से शुरू हुई थी जिसकी अंतिम तारीख 15 मई को पूरी हो गई। आमतौर पर कपास की बुआई 15 अप्रैल को शुरू होती है। अधिकारियों ने पहले कहा था कि बुआई में देरी के बावजूद कपास का रकबा 5.50 लाख हेक्टेयर के स्तर तक पहुंच जाएगा। पिछले साल 5.11 लाख हेक्टेयर रकबे में कपास की बुआई हई थी। राज्य सरकार के अनुमानों के मुताबिक कुल उत्पादन का आंकड़ा पिछले साल के 20.96 लाख गांठ के मुकाबले इस साल 23 लाख गांठ तय किया गया था।कपास उत्पादन के लिए अधिकतर क्षेत्र नहरों के पानी पर निर्भर करता है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने नए ट्यूबवेल कनेक्शन भी जारी किए हैं, ताकि कपास उत्पादन के लक्ष्य को पूरा किया जा सके। पिछले साल के मुकाबले इस साल राज्य में कपास उत्पादन क्षेत्र में 4.2 फीसदी का मामूली इजाफा हुआ है, जबकि सरकार ने 7-8 फीसदी इजाफे का लक्ष्य रखा था। अधिकारियों के अनुसार खराब मौसम का कपास की बुआई पर काफी खराब असर पड़ा है। बुआई के समय उत्तरी क्षेत्र में तापमान 42-43 डिग्री के बीच था, जो सामान्य से 4 डिग्री अधिक है। कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि 40 डिग्री से अधिक तापमान कपास की फसल के लिए बहुत खराब होता है। सूत्रों ने बताया कि कपास की बुआई वाले क्षेत्र में से 95 फीसदी क्षेत्र में बीटी कॉटन बोई जाएगी। उन्होंने बताया कि पिछले साल किसानों को कपास की फसल के बदले अच्छे दाम मिले। पिछले सीजन राज्य की कई मंडियों में कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,800 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक था। इस कारण किसान अधिक उत्पादन वाले बीज बो रहे हैं। इसके अलावा किसानों को कपास की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है क्योंकि चावल के मुकाबले यह कम पानी मांगती हैै। (बीएस हिंदी)
30 जून 2010
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