14 जून 2010
जेब भारी, फिर भी गन्ना किसानों का पैसा रोका
चालू पेराई सीजन में भारी मुनाफा कमाने के बावजूद चीनी मिलें किसानों को भुगतान में देरी कर रही हैं। उत्तर प्रदेश की चीनी कंपनियों ने चालू पेराई सीजन के लिए किसानों का तकरीबन 561 करोड़ रुपये का भुगतान अब तक नहीं किया है। हालांकि, राज्य की मिलों में पेराई लगभग एक महीना पहले ही बंद हो चुकी है। जानकारों के अनुसार चीनी मिलें भुगतान में देरी कर सरकार पर दबाव बनाना चाहती हैं ताकि सरकार आयातित चीनी पर शुल्क लगा दे। इसके साथ ही सरकार लेवी चीनी की कीमतें बढ़ा दे और उसकी मात्रा कम कर दे ताकि बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी आ जाए। मालूम हो कि जनवरी महीने में घरलू बाजार में चीनी के दाम बढ़कर 4100 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर चले गए थे। हालांकि, उसके बाद से कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। इसका प्रमुख कारण विदेशी बाजार में चीनी के दाम घटना है। इस समय थोक बाजार में चीनी का भाव 2800 से 2900 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है, लेकिन पीक सीजन के समय चीनी की कीमतें ऊंची होने के कारण मिलों के मुनाफे में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। उत्तर प्रदेश गन्ना विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सबसे ज्यादा बकाया मवाना, मोदी और बिरला समूह की कपंनियों पर है। चालू पेराई सीजन में उत्तर प्रदेश में 51।75 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जो पिछले साल के मुकाबले 27.4 फीसदी ज्यादा है। उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन में किसानों को गन्ने का अच्छा दाम मिला है जिसके कारण राज्य में इसके बुवाई क्षेत्रफल में करीब 15-20 फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। केंद्र सरकार ने चालू पेराई सीजन के लिए गन्ने का फेयर एंड रिम्यूनरेटिव मूल्य (एफआरपी) 129.85 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था, जबकि प्रदेश सरकार ने राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 165-170 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। हालांकि, गन्ने की कमी के कारण मिलों ने किसानों से 250-260 रुपये प्रति क्विंटल की दर से इसकी खरीद की थी। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)
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