जालंधर June 17, 2010
पंजाब और हरियाणा की चावल मिलों ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के मनमाने तौर तरीकों के खिलाफ लड़ाई शुरू करने के लिए हाथ मिला लिया है। चावल मिल संघों ने मिलकर गैर बासमती चावल के निर्यात से प्रतिबंध हटाने की मांग की है।
हरियाणा चावल मिल संघ के अध्यक्ष आजाद सिंह राठी, पंजाब चावल मिल संघ के चेयरमैन तेलु राम गर्ग, अखिल भारतीय चावल मिल महासंघ के अध्यक्ष तरसेम सैनी और दूसरी चावल मिलों ने एक बैठक के बाद केंद्र सरकार से गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध में कुछ ढील देने की गुजारिश की है क्योंकि भारत के पास फिलहाल दो साल पहले के मुकाबले चावल का काफी बेहतर भंडार है। दो साल पहले गैर बासमती चावल पर रोक लगाई गई थी।
सैनी ने कहा, 'अगर एफसीआई और दूसरी सरकारी एजेंसियां चावल मिलों के प्रति अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करती हैं, तो हम अक्टूबर में शुरू होने वाली कुटाई का काम शुरू नहीं करेंगे।'
एफसीआई की ओर से कुछ मामले में चावल बदलने के आदेश ने मिलों को और ज्यादा परेशान किया है। सैनी ने कहा, 'सभी जरूरी गुणवत्ता जांच और दूसरी पड़तालों के बाद कुछ चावल मिलों को एफसीआई द्वारा केंद्रीय पूल के लिए खरीदे गए चावल को बदलने के लिए कहा गया है।'
उन्होंने कहा कि एफसीआई की ओर से महीनों पहले खरीदे गए चावल को बदलने के लिए कहना 'गैर कानूनी और असंगत है।' उन्होंने कहा, 'वास्तव में यह सब भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है।'
मिलों के मुताबिक, 'पंजाब में 30 फीसदी और हरियाणा में 10 फीसदी धान की कुटाई बाकी है और धान की बुआई का नया सत्र शुरू हो गया है। एफसीआई ने चावल के भंडारण की कोई व्यवस्था नहीं की है इसलिए धान की कुटाई में देर हो रही है।' (बीएस हिंदी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें