मुंबई June 09, 2010
चालू सत्र में कपास की खेती का वैश्विक क्षेत्रफल 8 प्रतिशत बढऩे की उम्मीद है। यह पिछले 4 साल में कपास के रकबे में पहली बढ़ोतरी है। वर्ष 2010-11 में कपास का रकबा 327 लाख हेक्टेयर रहने की उम्मीद है। कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक रकबे में बढ़ोतरी की प्रमुख वजह 2009-10 में कपास की कीमतों में तेजी है। अगस्त 2009 में कपास वर्ष शुरू होने पर कपास की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 64 अमेरिकी सेंट प्रति एलबी थीं, जो इस समय 88 सेंट पर पहुंच चुकी हैं। कपास की खेती का 90 प्रतिशत रकबा उत्तरी गोलार्ध में है। करीब सभी कपास उत्पादक देशों में कपास की खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है और वे तिलहन और अनाज की खेती की ओर से कपास की खेती की ओर जा रहे हैं। कपास के रकबे में अनुमानित बढ़ोतरी में 50 प्रतिशत बढ़ोतरी अमेरिका और भारत में होने की उम्मीद है। इसके परिणामस्वरूप उम्मीद की जा रही है कि कपास का वैश्विक उत्पादन 248 लाख टन होगा, जो पिछले सत्र की तुलना में 13 प्रतिशत ज्यादा होगा। तुर्की, यूनान और सीएफए जोन में कपास के उत्पादन मेंं 5 साल बाद बढ़ोतरी के अनुमान लगाए जा रहे हैं।पिछले साल की तुलना में बेहतर मॉनसून और क पास के रकबे में बढ़ोतरी के चलते इस साल भारत में कुल 55 लाख टन कपास उत्पादन का अनुमान है। वहीं पाकिस्तान में उत्पादन 5 प्रतिशत बढ़कर 22 लाख टन रहने का अनुमान है। हालांकि चीन में कपास की फसल में मामूली बढ़ोतरी का अनुमान है और वहां 71 लाख टन उत्पादन होगा।कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया के मुताबिक चीन में कम तापमान और सामान्यतया कपास उत्पादन के अनुकूल मौसम नहीं रहता है, जिससे कपास की बुआई में देरी होती है। चीन में कपास के उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी की वजह से उम्मीद की जा रही है कि चीन के आयात में बढ़ोतरी होगी और यह करीब 27 लाख टन हो जाएगा। चीन में उत्पादन और घरेलू खपत में 21 प्रतिशत का अंतर रहने का अनुमान है। अमेरिका का निर्यात 8 प्रतिशत बढ़कर 29 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि भारत का निर्यात 12 लाख टन कम रहेगा, क्योंकि कपास के निर्यात के लिए लाइसेंस जैसे प्रतिबंध लगे हैं। (बीएस हिंदी)
10 जून 2010
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