बेंगलुरु June 17, 2010
सोने की बढ़ी कीमतों के बावजूद एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) के माध्यम से इसकी खरीद पर बुरा असर नहीं पड़ा है। ऐसी स्थिति घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में है।
आर्थिक माहौल की अनिश्चितता के चलते उम्मीद की जा रही है कि गोल्ड ईटीएफ की खरीदारी और बढ़ेगी। गोल्ड ईटीएफ की खरीद सामान्यतया सोने की कीमतों में कमी और बढ़ोतरी से प्रभावित होती है।
क्वांटम म्युचुअल फंड के फंड प्रबंधक (जिंस) चिराग मेहता ने कहा- हम गोल्ड ईटीएफ की मांग में गिरावट की कोई उम्मीद नहीं देख रहे हैं। भले ही इसकी यूनिट कीमतों में तेजी है। वैश्विक वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता के चलते सोने में सुरक्षित निवेश के चलते गोल्ड ईटीएफ के कारोबार में और तेजी की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि भारतीय उपभोक्ता कीमतों के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। बावजूद इसके, बेहतर मुनाफे के चलते वे गोल्ड ईटीएफ में निवेश को तरजीह देंगे। यूरोपीय अर्थव्यवस्था में ऋण संकट के चलते सोने की कीमतें इस समय 1200 डॉलर के आसपास चल रही हैं। बाद में भी अगर डॉलर के मुकाबले यूरो कमजोर होता है तो इससे वैश्विक इक्विटी बाजारों में निवेश घटेगा और सोने की कीमतों को और बल मिलेगा।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुमान के मुताबिक इस साल की पहली तिमाही में पूरी दुनिया के निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से 5.6 टन सोना खरीदा है। इसके परिणामस्वरूप गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से निवेश बढ़कर 1768 टन हो गया है, जिसकी कीमत करीब 64.3 अरब डॉलर है।
यहां तक कि भारतीय निवेशकों ने भी अक्षय तृतीया के दौरान बीएसई और एनएसई के विशेष कारोबारी सत्र में सोने में खासी रुचि दिखाई। एनएसई में उस दौरान 172.39 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ, जबकि सामान्य कारोबारी दिनों में रोजाना का कारोबार करीब 20 करोड़ रुपये का होता है।
एसोसिएशन आफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के आंकड़ों के मुताबिक गोल्ड ईटीएफ में प्रबंधन के तहत कुल परिसंपत्ति अप्रैल में 1700 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया, जबकि अप्रैल 2009 में यह आंकड़ा 700 करोड़ रुपये का था। सिर्फ अप्रैल महीने में ही गोल्ड ईटीएफ में 50 करोड़ रुपये का निवेश हुआ।
मेहता ने कहा- एसबीआई जैसे बैंक सोने से जुड़ी हुई तमाम योजनाएं चला रहे हैं। वे सोने के जमा पर ब्याज के साथ कर्ज की सुविधा भी मुहैया करा रहे हैं। ऐसी स्थिति में गोल्ड ईटीएफ के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ा है।
बाजार के अनुमानों के मुताबिक, 2007 में गोल्ड ईटीएफ पेश किए जाने के बाद से यह मजबूत परिसंपत्ति की श्रेणी के रूप में उभरा है, जिसमें कंपाउंडेड एनुअलाइज्ड ग्रोथ रेट (सीएजीआर) 27 प्रतिशत है। ऐसा पिछले तीन साल से है, जो इक्विटी बाजार से मिलने वाले मुनाफे से 4 प्रतिशत ज्यादा है।
इंडिया इनफोलाइन के विश्लेषक तनय वनुशाली के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में निवेश के लिहाज से दिलचस्पी बढ़ी है, क्योंकि शेयर बाजारों में गिरावट आई और इसमें मध्यावधि के हिसाब से विश्वास बना है। उन्होंने यह भी कहा कि सोने की कीमतें बढ़ने से, जो हाजिर और वायदा बाजार के गोल्ड ईटीएफ में हुआ है, निवेशकों का विश्वास नहीं हटा है।
हालांकि इस कारोबार के कुछ जानकार अपनी अलग राय रखते हैं। कोटक एएमसी के प्रमुख (उत्पाद) लक्ष्मी अय्यर ने कहा कि गोल्ड ईटीएफ की कीमतें कुछ ज्यादा हैं, क्योंकि कीमतें बढ़ी हैं। इसकी वजह से नए निवेशक बाजार से दूर हैं।
इस तरह से निवेशकों के लिहाज से देखें तो अभी कीमतों में कमी का इंतजार करने की जरूरत है। मई महीने में गोल्ड ईटीएफ का कारोबार बहुत अच्छा नहीं रहा है, क्योंकि भारतीय निवेशक कीमतों के प्रति बहुत संवेदनशील हैं। बीएस Hindi
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