नई दिल्ली June 09, 2010
देश से बासमती चावल का निर्यात मंदी के दौर से गुजर रहा है। ईरान से इसकी मांग में कमी आई है और यूरोप के आर्थिक संकट से भी असर पड़ा है। कोहिनूर ब्रांड के नाम से बासमती चावल का कारोबार करने वाली कंपनी कोहिनूर फूड्स के संयुक्त प्रबंध निदेशक गुरनाम अरोड़ा ने कहा, 'निर्यात बाजार सुस्त पड़ गया है। चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने में निर्यात 20 प्रतिशत गिरा है। यूरोप, अमेरिका और पश्चिम एशिया से मांग कम हुई है। मांग में पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत की कमी आई है। यह महज शुरुआत है और हम उम्मीद करते हैं कि बाद में स्थिति में सुधार होगा।यूरोप और ईरान भारतीय बासमती चावल के बड़े खरीदार हैं। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात संवर्धन प्राधिकरण (एपीडा) के मुताबिक देश से बासमती चावल का निर्यात 2008-09 के दौरान 15।5 लाख टन रहा, जिसकी कीमत 9,447 करोड़ रुपये थी। 2009-10 (दिसंबर 2009 तक) में निर्यात करीब 14.6 लाख टन था, जिसकी कीमत 8,146 करोड़ रुपये रही। उम्मीद की जा रही है कि पूरे साल के दौरान निर्यात 25 लाख टन रहेगा, जो रिकॉर्ड निर्यात होगा। निर्यात में यह बढ़ोतरी 1121 किस्म के चावल को बासमती की श्रेणी में लाने की वजह से हुआ, जो अक्टूबर 2008 में किया गया था।टिल्डा राइसलैंड के निदेशक आरएस शेषाद्रि ने कहा, 'निर्यात मूल्य में गिरावट आई है और इसका असर धान की कीमतों पर दिख रहा है। पिछले 3 महीनों में कीमतें गिरी हैं। पिछले साल 1121 किस्म का धान 2300-2400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव खरीदा था। वर्तमान में इसकी कीमतें 1900 रुपये प्रति क्विंटल भी नहीं है। पिछले साल की फसल भी इस समय बाजार में आ रही है।Ó ईरान को होने वाले 1121 किस्म के चावल निर्यात में कमी आई है, जिसकी वजह यह है कि वहां चावल का निर्यात बढ़ा है। पाकिस्तान ने हाल ही में 1121 किस्म के 2,00,000 टन चावल का निर्यात ईरान को किया है। शेषाद्रि ने कहा- ईरान में पिछले साल की तुलना में 25 प्रतिशत फसल ज्यादा होने का अनुमान है। आज स्थिति यह है कि ईरान के आयातक, आयात के लिए अग्रिम धनराशि भी देने को तैयार नहीं हैं, जैसा कि पिछले साल हुआ था। साथ ही भारतीय निर्यातक जिस दर पर चावल दे रहे हैं, वे दरें भी ईरान के लिए मुफीद नहीं हैं।भारत में ज्यादातर बासमती मिलर ने किसानों को ज्यादा दाम देकर धान खरीदा है, जिसकी वजह से ईरान में 1121 किस्म के चावल की मांग सुस्त है। पिछली तिमाही तक निर्यातकों को जहां 1060 डॉलर प्रति टन के भाव मिल रहे थे, इस समय चावल 900 डॉलर प्रति टन के भाव बिक रहा है। चावल की 1121 किस्म का करीब आधा निर्यात ईरान को होता है, जो करीब 13-14 लाख टन है। (बीएस हिंदी)
10 जून 2010
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