05 जून 2010
जीरा पर टर्की-सीरिया का दबाव
निवेशकों की मुनाफावसूली से गुजर एक हफ्ते में जीर की कीमतें 6.9 फीसदी तक नीचे आई हैं। 28 मई को जून महीने के वायदा का भाव 12,400 रुपये प्रति क्विंटल था, शुक्रवार को ये घटकर 11,535 रुपये पर आ गया। निर्यातकों की मांग घटने से पिछले एक सप्ताह में जीर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। ऊंझा मंडी में जीर की कीमतों में इस दौरान 3.3 फीसदी और वायदा बाजार में 6.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के मुकाबले टर्की और सीरिया के जीर का भाव 150 डॉलर प्रति टन कम है। हालांकि चालू सीजन में देश में जीर का उत्पादन पिछले साल से करीब दो लाख बोरी (एक बोरी-55 किलो) कम है। फसल के समय भाव तेज होने के कारण स्टॉकिस्टों के पास स्टॉक भी कम है। सीरिया में नई फसल की आवक बनी हुई है और जुलाई में टर्की की फसल आ जाएगी। इसलिए आगामी डेढ़-दो महीने तक जीर की मौजूदा कीमतों से और तेजी के आसार कम है। वायदा में गिरावट नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) पर निवेशकों की मुनाफावसूली आने से पिछले एक सप्ताह में जीर की कीमतों में करीब 6.9 फीसदी की गिरावट आई है। 28 मई को जून महीने के वायदा अनुबंध में जीर का भाव 12,400 रुपये प्रति क्विंटल था। जोकि शुक्रवार को घटकर 11,535 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। जून महीने के वायदा अनुबंध में 8,484 लॉट के खड़े सौदे हुए हैं। कमोडिटी विशेषज्ञ अभय लाखवान ने बताया कि हाजिर मंडियों में जीर का स्टॉक कम है। उधर, किसान घटे भाव पर बिकवाली नहीं कर रहे हैं। इसलिए मौजूदा कीमतों में गिरावट की आशंका तो नहीं है, लेकिन सीरिया और टर्की की नई फसल को देखते हुए अभी वायदा बाजार में जीर का भाव सीमित दायर में ही रहने की संभावना है। विदेश में भारतीय जीर का भाव ज्यादा जैब्स प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरक्टर एस शाह ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय जीर का भाव 2,450 डॉलर प्रति टन (एफओबी) है। जबकि टर्की और सीरिया के जीर का भाव 2,300 डॉलर प्रति टन है। भारत के मुकाबले टर्की और सीरिया के जीर की कीमतों में 150 डॉलर प्रति टन का अंतर हैं। हालांकि भारत के मुकाबले इन देशों की क्वालिटी हल्की है, लेकिन कीमतों में अंतर होने के कारण भारत से निर्यात मांग कम है। वैसे भी सीरिया में नई फसल की आवक हो रही है तथा अगले महीने में टर्की की फसल भी जा जाएगी। इसलिए आगामी दो महीने तक भारत से निर्यात मांग कम ही रहने की संभावना है। उन्होंने बताया कि सीरिया में जीर की नई फसल का उत्पादन करीब 30-35 हजार टन, टर्की में 15-20 हजार टन और चीन में 10-15 हजार होने की संभावना है। निर्यात और पैदावार में कमी भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित्त वर्ष 2009-10 के पहले ग्यारह महीनों (अप्रैल से फरवरी ) के दौरान भारत से जीर के निर्यात में 14 फीसदी की कमी आई है। मैसर्स हनुमान प्रसाद पीयूष कुमार के प्रोपराइटर विरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि चालू फसल सीजन में देश में जीर का उत्पादन 28 लाख बोरी (एक बोरी-55 किलो) होने का अनुमान है। जबकि पिछले साल उत्पादन करीब 30 लाख बोरी का हुआ था। इसके अलावा पिछले साल नई फसल के समय करीब पांच-छह लाख बोरी का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। चालू सीजन में नई फसल के समय बकाया स्टॉक मात्र 2-3 लाख बोरी ही बचा हुआ था। (बिज़नस भास्कर.....आर अस राणा)
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