नई दिल्ली June 03, 2010
परिधान निर्यातक आने वाले दिनों में पश्चिमी देशों से नए ऑर्डर लेने की बाट जोह रहे हैं, लेकिन यूरो जोन में ऋण संकट के कारण वे आशंकित हो गए हैं। ज्यादातर निर्यातकों का मानना है कि ईयू-27 देशों से इस तिमाही के दौरान निर्यात ऑर्डर की बुकिंग में कमी आएगी, जिसकी हिस्सेदारी देश के कुल परिधान निर्यात में 40 प्रतिशत है। एक तरफ तो ऑर्डर बुक घटने की चिंता है, वहीं ज्यादातर का मानना है कि वे अभी भी मंदी से जूझ रहे हैं।बेंगलुरु की कंपनी गोकलदास एक्सपोर्ट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राजेंद्र हिंदुजा ने कहा, 'यह सिर्फ कागजों में है कि मंदी खत्म हो गई। स्थिति अभी भी गंभीर है। अमेरिका से मिलने वाले ऑर्डर में अभी स्थिरता है। लेकिन यूरोप के संकट के चलते ऑर्डर में और कमी आएगी। अभी भी वहां पर खुदरा कारोबार की स्थिति अनिश्चित है। गोकलदास एक्सपोर्ट का सालाना कारोबार करीब 1,000 करोड़ रुपये का है। यूरो में गिरावट की वजह से यूरोपियन यूनियन को होने वाला निर्यात खर्चीला साबित हो रहा है। इससे निर्यातकों के मुनाफे पर खासा असर पड़ा है। विश्लेषकों का कहना है कि निर्यातकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनके उत्पादों की कीमतों को लेकर है। कंसल्टेंसी फर्म टेक्नोपैक के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत अग्रवाल ने कहा, 'किसी तरह के अवमूल्यन का स्तर निचले स्तर पर पड़ता है। यूरो के 15 प्रतिशत अवमूल्यन से निर्यातकों के निचले स्तर पर 10 प्रतिशत का नुकसान नजर आता है। मैं यह नहीं मानता कि ऑर्डर में कमी आ रही है, लेकिन कीमतें और मुनाफा बरकरार रखने का मसला गंभीर है। बहरहाल, चीन जैसे बड़े कारोबारी देश से भी बड़ी चुनौती मिल रही है, जो अपने निर्यातकों की मदद, अपनी मुद्रा के माध्यम से भी कर रहा है। मुंबई स्थित केटी कार्पोरेशन के चेयरमैन और अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (एईपीसी) के चेयरमैन प्रेमल उदानी ने कहा, 'निश्चित रूप से यूरोप के संकट का असर पड़ा है। हमारे लिए यूरोप बड़ा बाजार है और वहां से बुकिंग हमारे कारोबार के लिए महत्त्वपूर्ण है।भारत का परिधान उद्योग 2008 से ही खराब दौर से गुजर रहा है। रुपये में मजबूती की वजह से ज्यादातर निर्यातकों के मुनाफे में कमी आई है, साथ ही वैश्विक आर्थिक मंदी ने और परेशान किया है और निर्यात ऑर्डर घटे हैं। खासकर अमेरिका और यूरोपियन यूनियन से निर्यात ऑर्डर कम हुए हैं। अमेरिका और ईयू क्षेत्र में रिटेल क्षेत्र के दीवालिया होने की वजह से भारतीय टेक्सटाइल निर्यात उद्योग में लोगों की नौकरियां गई हैं और अस्थायी रूप से तमाम फैक्टरियां बंद हो गई हैं। भारत के निर्यात में करीब 9 प्रतिशत की गिरावट आई है और 2009-10 में यह घटकर 45,971 करोड़ रुपये का रह गया है। भारत के परिधान निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 33 प्रतिशत है। ज्यादातर निर्यातक, जिसमें छोटे और मझोले निर्यातक शामिल हैं, रिटेल क्षेत्र में सुधार की राह देख रहे हैं। गुडग़ांव की मोडेलामा एक्सपोर्ट के प्रबंध निदेशक ललित गुलाटी ने कहा- अमेरिका से होने वाले कारोबार को लेकर उम्मीद जगी है। (बीएस हिंदी)
04 जून 2010
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