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01 जून 2010

उत्पादन में गिरावट और सट्टेबाजी से मेंथा की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में मेंथा के पैदावार में भारी कमी आई है। इस वजह से इसकी कीमत 785 रुपए प्रति किलो के करीब पहुंच गई है। हालांकि , कारोबारियों का कहना है कि जून के दूसरे हफ्ते में नई फसल के आने के बाद दाम घटकर 730 रुपए प्रति किलो रह सकते हैं। फरवरी-मार्च में मेंथा की बुआई होती है। इस दौरान इसकी कीमतें काफी कम चल रही थीं। इस वजह से किसानों ने गन्ने और दूसरे ऐसे फसलों की ज्यादा बुआई की, जिनकी कीमत उस वक्त अच्छी मिल रही थी। इससे मेंथा की बुआई का इलाका कम हुआ। मेंथा के रकबे पर सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट्स (सीआईएमएपी) और स्टेट हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट के अनुमान अलग-अलग हैं। हालांकि माना जा रहा है कि इस साल मेंथा के रकबे में 15 फीसदी की कमी आई है और यह घटकर 1।70 लाख हेक्टेयर रह गया है। हिन्दुस्तान मिंट और एग्रो प्रोडक्ट के मैनेजिंग डायरेक्टर फूल प्रकाश ने बताया कि रकबे में गिरावट और उत्तर भारत में चल रही लू के कारण मेंथा की पैदावार में 20 से 25 फीसदी की गिरावट हो सकती है। गमीर् का असर इससे निकलने वाले तेल की मात्रा पर भी पड़ेगा। उन्होंने बताया कि पिछले साल के 35,000 टन की तुलना में इस साल उत्तर प्रदेश में 26,000-28,000 टन मेंथा का उत्पादन हो सकता है। देश भर में सबसे ज्यादा मेंथा का उत्पादन यूपी में होता है। राज्य की देश के कुल मेंथा उत्पादन में 80 फीसदी हिस्सेदारी है। राज्य के बाराबंकी, चंदौसी, सम्बल, रामपुर और बदायूं में इसकी ज्यादा खेती होती है। देश के दूसरे राज्यों में करीब 5,000 टन मेंथा का उत्पादन होता है। इस साल देश भर में 31,000-33,000 टन मेंथा उत्पादन के आसार हैं। मेंथा का उत्पादन करने वाले उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख जिले चंदौसी और सम्बल के हाजिर बाजार में इसकी कीमतें क्रमश: 785 रुपए प्रति किलो और 780 रुपए प्रति किलो हैं। फूल प्रकाश ने बताया कि इस साल कम उत्पादन और सट्टेबाजी के चलते कीमतें बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि जून के दूसरे सप्ताह में नई फसल की आवक शुरू होने पर कीमतें घटकर 730 रुपए प्रति किलो तक आ सकती हैं। आमतौर पर मेंथा की फसल मई अंत और जून की शुरुआत में तैयार हो जाती है। (ई टी हिंदी)

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