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07 जून 2010

कमोडिटी ट्रैकर

कॉपर के मूल्य में जारी गिरावट आगे भी जारी रह सकती हैं। यूरोप के कर्ज संकट के कारण विदेश में आई गिरावट से घरेलू बाजार में कॉपर के मूल्यों पर दबाव रहा है। अब बारिश के मौसम में औद्योगिक खपत हल्की रहने के कारण मांग सीमित रहने का अनुमान है। इसी वजह से हाजिर बाजार में कॉपर के दाम पांच-छह फीसदी और घट सकते हैं। औद्योगिक मांग में कमी आने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले एक सप्ताह में कॉपर में करीब 4।2 फीसदी की गिरावट आई है। विदेश में आई गिरावट के कारण ही वायदा बाजार में भी इस दौरान कॉपर की कीमतें करीब 6.1 फीसदी घटी है। लेकिन वायदा की तुलना में हाजिर बाजार में दाम कम घटे हैं। भारत में प्रमुख कॉपर उत्पादक कंपनियों द्वारा बिकवाली कम करने से हाजिर में दाम ज्यादा नहीं घटे हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में कॉपर तीन माह अनुबंध के दाम 6,950 डॉलर से घटकर स्त्र,650 डॉलर प्रति टन रह गए। एलएमई में कॉपर की इन्वेंट्री बढ़कर 4.74 लाख टन हो गई है। ग्रीस और पुर्तगाल में आए आर्थिक संकट की वजह से यूरोपीय देशों की कॉपर में मांग घटी है। इसीलिए एलएमई में इन्वेंट्री बढ़ रही है। हालांकि फरवरी माह के दौरान कॉपर के प्रमुख उपभोक्ता देश चीन में 3.22 लाख टन कॉपर का आयात किया गया जबकि जनवरी में आयात का आंकड़ा 2.92 लाख टन पर था। चालू वर्ष में जनवरी-फरवरी के दौरान चीन ने 6.49 लाख कॉपर का आयात किया जबकि पिछली साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 5.62 लाख टन पर था। इंटरनेशनल कॉपर स्टडी ग्रुप (आईसीएसजी) के मुताबिक यूरोप के देशों में आर्थिक संकट की वजह से इस साल कॉपर का वैश्विक खपत घटने का अनुमान लगाया है। आईसीएजी के अनुसार इस साल कॉपर का वैश्विक उपयोग का अनुमान 1.5 फीसदी घटकर 179 लाख टन कर दिया है। पिछले साल करीब 182 लाख टन कॉपर की खपत हुई थी। अगले साल इसकी खपत पांच फीसदी बढ़कर 189 लाख टन होने की संभावना है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में जून के वायदा अनुबंध में पिछले एक सप्ताह में कॉपर की कीमतों में 6.1 फीसदी की गिरावट आई है। जून महीने के वायदा अनुबंध में 28 मई को कॉपर का भाव 325 रुपये प्रति किलो था, जो चार जून को घटकर 305 रुपये प्रति किलो रह गया। घरेलू बाजार में कॉपर के दाम एलएमई के अनुसार ही घटते-बढ़ते हैं। लेकिन पिछले एक महीने में डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हुआ है। मई के शुरू में डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होकर करीब 44 के स्तर पर आ गया था जबकि चालू जून के पहले सप्ताह में डॉलर 46.84 रुपये के स्तर पर है। वैसे भी प्रमुख उत्पादक कंपनियां बिकवाली कम कर रही हैं। इसीलिए हाजिर बाजार में वायदा के मुकाबले कम गिरावट आई है। हाजिर बाजार में आर्मेचर कॉपर का दाम 345 रुपये प्रति किलो है जो एक सप्ताह पहले 347 रुपये प्रति किलो था। आगामी दिनों में बारिश का मौसम शुरू हो जाएगा, जिससे कॉपर की औद्योगिक मांग कम हो जाएगी। साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपया फिर मजबूत होने की संभावना है। इसलिए कॉपर के मौजूदा दाम में गिरावट आ सकती है।rana@businessbhaskar.netबात पते कीविदेश की गिरावट के साथ घरेलू वायदा बाजार में भी कॉपर की कीमत करीब 6.1 फीसदी घट गई। लेकिन वायदा की तुलना में हाजिर बाजार में दाम कम घटे हैं क्योंकि घरेलू उत्पादक कंपनियों ने कॉपर की बिकवाली का दबाव कम रखा। (बिज़नस भास्कर...आर अस राणा)

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