17 सितंबर 2010
अमेरिका की वजह से इस साल पूरा नहीं होगा WTO समझौता
नई दिल्ली : विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मंच पर हुआ वैश्विक कारोबारी समझौता अमेरिका के राजी न होने की वजह इस वर्ष पूरा नहीं हो पाएगा। सचिव राहुल खुल्लर ने बताया कि अमेरिका घरेलू बाध्यताओं की वजह से इसके लिए अभी तैयार नहीं है। खुल्लर ने सीआईआई द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में कहा, 'अमेरिका अभी तैयार नहीं है। उसके सामने चाहे राजनीतिक, आर्थिक या फिर बेरोजगारी की ऊंची दर जैसी कोई भी बाध्यता हो, लेकिन अभी यह नहीं हो पाएगा।' उन्होंने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस चुनावों के बाद इस समझौते को लेकर बातचीत शुरू हो सकती है। डब्ल्यूटीओ बातचीत का मौजूदा दोहा दौर 2001 में शुरू हुआ था और यह कई समय सीमा चूक चुका है। इसका कारण कुछ प्रमुख सदस्यों का निर्धन किसानों और विकासशील देशों में आयात बढ़ने पर छोटे उद्योगों का संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमत न होना था। डब्ल्यूटीओ के अनुमान के अनुसार इस दौर के पूरा होने के बाद वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार में 282 अरब डॉलर की सालाना वृद्धि होने का अनुमान है। अमेरिका भारत, चीन और ब्राजील पर मैन्युफैक्चर्ड वस्तुओं के लिए बाजार नहीं खोलने का आरोप लगाता रहा है। उसका कहना है कि ये देश समझौते को रोक रहे हैं। भारत का कहना है कि वह बहुमत के साथ है। खुल्लर ने कहा कि बातचीत में अमेरिका की गैर-मौजूदगी देरी का प्रमुख कारण है। उनका कहना था, 'बड़े पार्टनर के न होने पर बातचीत करना मुश्किल होता है।' खुल्लर ने कहा कि अमेरिका को यह समझना होगा कि अब समय सीमा के बारे में बात करने का वक्त आ गया है। अमेरिका नवंबर में होने वाले कांग्रेस के चुनावों की तैयारी कर रहा है और ओबामा प्रशासन पर इसे लेकर काफी दबाव है। अमेरिकी सरकार ने प्रोफेशनल्स के लिए वीजा फीस बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा ओहायो राज्य ने सरकारी कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाली कंपनियों के लिए आउटसोर्सिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत इस महीने के अंत में वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉन किर्क के बीच होने वाली बैठक में इन मुद्दों को उठाने की योजना बना रहा है।वाणिज्य (Et Hindi)
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