मुंबई September 22, 2010
पिछले 3 महीनों के दौरान कमोडिटी की कीमतों में 30 से 50 फीसदी तक की वृद्घि दर्ज की जा चुकी है, जिसमें कृषि कमोडिटी का सबसे ज्यादा योगदान रहा है। कमोडिटी की कीमतों में इस तेजी की प्रमुख वजह वैश्विक अर्थव्यवस्था में मजबूत नकदी प्रवाह और इस वर्ष जून की शुरुआत से निवेशकों में जोखिम उठाने की हिम्मत बढऩा रहा है। यह स्थिति इसलिए बनी क्योंकि अब बाजार में यह आम धारणा है कि यूरोप का संकट तकरीबन खत्म हो चुका है।लेकिन, अब एक दूसरी वजह भी सामने आ रही है, जिसके चलते कमोडिटी के भाव में आगे और तेजी आ सकती है। बार्कलेज कैपिटल के कमोडिटी अनुसंधान विश्लेषक केविन नॉरिश के मुताबिक, 'चीन के आयात संबंधी आंकड़ों से पता चलता है कि नीति प्रेरित मंदी का दौर अब अंतिम चरण में है। चीन में कमोडिटी की मांग में सुधार आने लगा है और पिछले कुछ महीनों के दौरान मांग तेजी से बढ़ी है, जो अगस्त के कमोडिटी कारोबार आंकड़ों में साफ झलक रही है। इन आंकड़ों के मुताबिक चीन में बेस मेटल एवं तेल आयात बढ़ा है और मक्के के आयात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।Óअगस्त के जो आंकड़े आए हैं, उनसे एक रोचक तथ्य सामने आया है। दरअसल, चीन में कमोडिटी का आयात बढ़ा और निर्यात घटा है। पिछले 6 महीनों के दौरान वहां सस्ता ऋण सुनिश्चित करने के उपाय अपनाने और स्थानीय उद्योगों की मदद के लिए निर्यात रियायतें कम करने की वजह से निर्यात में कमी आई है। लेकिन, हालात में वास्तविक सुधार पिछले 2 महीनों के दौरान आए हैं। चीन में कमोडिटी की मांग बढऩे और बेहतर नकदी प्रवाह की बदौलत जून से लेकर अब तक कमोडिटी की कीमतों में 30से 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की जा चुकी है। इस वर्ष जून में कमोडिटी के भाव न्यूनतम स्तर पर थे।हो सकता है कि गेहूं, मक्का, चीनी और कपास जैसे कृषि कमोडिटी के भाव में वृद्घि फसल उत्पादकता में कमी और इनका रकबा घटने की वजह से भी हुई हो, लेकिन मांग में बढ़ोतरी महत्वपूर्ण कारक रही है।मक्के की उत्पादकता और रकबे में सबसे ज्यादा कमी आई है। यही वजह है कि अमेरिका और चीन में इसका आयात बढऩे के कयास लगाए जा रहे हैं। बार्कलेज के विश्लेषक का कहना है, 'मक्के के आयात में जबरदस्त वृद्घि हुई है। अगस्त में इसका आयात बढ़कर 4,32,000 टन के स्तर पर जा पहुंचा, जो कुल मिलाकर पिछले महीने हुए आयात के दोगुने से भी अधिक है।Óचीन में मक्का आयात की जो रणनीति अपनाई गई है, उसका लक्ष्य पिछले 15 वर्षों का रिकॉर्ड तोडऩा है। इस वजह से यह सवाल उठने लगा है कि क्या चीन बढ़ती घरेलू मांग पूरी करने के लिए संरचनात्मक रूप से मक्के के मुख्य आयातक देश में तब्दील होने की राह पर चल रहा है? यह सवाल उठने की एक ठोस वजह भी है। इस वर्ष जून की शुरुआत में एस ऐंड पी जीएससीआई कृषि सूचकांक 43 फीसदी चढ़ गया। (BS Hindi)
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