नई दिल्ली September 19, 2010
जल्द ही चीनी मिलों को चीनी की बिक्री से होने वाला मुनाफा किसानों के साथ साझा करना पड़ सकता है। सरकार चीनी उद्योग के लिए राजस्व साझा फॉर्मूला लागू करने की योजना बना रही है। अगर यह लागू हो जाता है तो किसानों की कमाई में करीब 30 फीसदी इजाफा होने की उम्मीद है। इस फॉर्मूला में शीरे और खोई जैसे उत्पादों की बिक्री से होने वाली कमाई को भी शामिल किया जाएगा। इस महीने की शुरुआत में खाद्य एवं कृषि मंत्री शदर पवार के साथ चीनी विनियंत्रण मामले पर हुई बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राजस्व साझा प्रक्रिया के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था। इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि समिति के अध्यक्ष रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के चेयरमैन सी रंगराजन होंगे। किसानों को उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के तहत गन्ने की निश्चित कीमत तो दी ही जाएगी, इसके अलावा उन्हें कंपनी के मुनाफे में भी हिस्सा मिलेगा। चीनी उत्पादन मामले में दुनिया में अव्वल ब्राजील में भी राजस्व साझा कार्यक्रम लागू है।100 किलोग्राम गन्ने की पेराई से करीब 10 किलो चीनी, 4.5 किलो शीरा और 30 किलो खोई मिलती है। इसमें से 21-22 किलो खोई का इस्तेमाल मिल में ही हो जाता है, जबकि 8-9 किलो खोई अतिरिक्त बचती है। फिलहाल उत्तर प्रदेश में चीनी 25 रुपये प्रति किलो, शीरा 2 रुपये प्रति किलो और खोई 1.1 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकती है। यानी 10 किलो चीनी, 4.5 किलो शीरा और 8 किलो खोई की बिक्री से कंपनी को 268 रुपये की कमाई होती है। इसकी दो तिहाई रकम करीब 180 रुपये प्रति क्विंटल होती है, जबकि गन्ने का एफआरपी 139 रुपये प्रति क्विंटल है। इससे महाराष्टï्र के किसानों को काफी फायदा होगा क्योंकि वहां एफआरपी लागू है। हालांकि उत्तर प्रदेश में राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) लागू है, लेकिन इससे यहां के किसानों को भी फायदा होगा। पिछले सीजन के दौरान उत्तर प्रदेश में एसएपी 165 रुपये प्रति क्विंटल था। (BS Hindi)
20 सितंबर 2010
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