नई दिल्ली September 19, 2010
मॉनसूनी बारिश सामान्य से ज्यादा हुई है। सितंबर के पहले पखवाड़े में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की वजह से खड़ी फसलों को लेकर चिंता बढ़ी है, खासकर उन फसलों को लेकर, जिनकी बुआई पहले हुई थी और अब करीब तैयार होने को है। बहरहाल, कुल मिलाकर खरीफ फसल की स्थिति अच्छी मानी जा रही है, क्योंकि खेती योग्य भूमि के 95 प्रतिशत हिस्से में बुआई हुई है।साथ ही देर से हुई बारिश रबी की फसल के लिए बेहतर माना जा रहा है। इससे पूर्वी और पूर्वोत्तर इलाकों में भी स्थिति सुधरी है, जहां अगस्त के मध्य तक कम बारिश की वजह से बुआई प्रभावित हुई थी। इन इलाकों में देर से हुई बारिश से कम अवधि वाली कुछ वैकल्पिक फसलों और चारे की बुआई हुई है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 18 सितंबर तक कुल मॉनसूनी बारिश 860.6 मिलीमीटर हुई है, जो 833.9 मिलीमीटर सामान्य बारिश की तुलना में ज्यादा है। इस तरह सामान्य से करीब 3 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। सितंबर के पहले पखवाड़े में सामान्य से 22 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। मौसम विभाग का अनुमान है कि सितंबर महीने में सामान्य से 15 प्रतिशत ज्यादा बारिश की उम्मीद है। मॉनसून की पूरी तरह से वापसी अक्टूबर में ही होने की उम्मीद है। इसकी वजह से रबी की फसल के लिए जमीन में पर्याप्त नमी रहेगी। बेहतर बारिश की वजह से देश के 81 बड़े जलाशयों में पर्याप्त मात्रा में पानी हो गया है। इनमें से ज्यादा जलाशयों में पिछले साल हुई कम बारिश की वजह से पानी की कमी थी। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक इन जलाशयों में 16 सितंबर तक कुल जल संग्रह 108.846 अरब घन मीटर हो गया है। यह जल स्तर पिछले साल की तुलना में 25 प्रतिशत और पिछले 10 साल के सामान्य औसत से 13 प्रतिशत ज्यादा है। कुल 81 जलाशयों में से 61 में सामान्य जल संग्रह से 80 प्रतिशत ज्यादा पानी मौजूद है। सिर्फ 9 जलाशयों में आधे से कम पानी है- जिसमें तिलैया, गांधी सागर, गिरना, सलंदी, रेंगली, रिहंद, मयूराक्षी और कांगसाबाती शामिल हैं। कुल 36 जलाशयों से जल विद्युत का उत्पादन होता है, जिनमें 27 में सामान्य से ज्यादा पानी का संग्रह है। इससे रबी की फसलों की सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता बढ़ी है, साथ ही गर्मी के महीनों में ज्यादा बिजली उत्पादन भी होगा। बहरहाल अब ज्यादातर इलाकों में किसान पानी रुकने की प्रार्थना कर रहे हैं। फसलों के उचित विकास के लिए सूरज की रोशनी भी जरूरी है। बारिश की वजह से जल्दी बोई गई कपास, दालों, तिलहन और मोटे अनाज की फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, जो कटाई के लिए करीब तैयार हैं। पानी भरे खेतों से फसलों की कटाई संभव नहीं है। अगर फसल की कटाई में देरी होती है तो नम मौसम के चलते उनकी गुणवत्ता भी खराब होने की संभावना है। गुजरात के कुछ इलाकों और राजस्थान में बाजरे की फसल के भविष्य को लेकर भी अनिश्तितता बनी हुई है। कुछ इलाकों में फसल पहले ही तैयार हो चुकी है और मॉनसून की अवधि में विस्तार की वजह से वातावरण नम है। अगर बारिश नहीं रुकती है तो इन इलाकों में फसल खराब होने की संभावना जताई जा रही है। ज्यादा बारिश की वजह से तिलहन फसलों, जैसे तिल और मूंगफली की फसलों पर भी बुरा असर पड़ा है। डर है कि तिल की 25 प्रतिशत और मूंगफली की 10-15 प्रतिशत फसल कुछ इलाकों में बर्बाद हो जाएगी। बारिश का मौसम खत्म न होने की वजह से पंजाब और राजस्थान में कपास और मध्य प्रदेश में दलहन, खासकर मूंग और उड़द की फसल की कटाई में देरी हो रही है। बहरहाल फसल की कटाई शुरू हो गई है और मंडी में आवक बढऩे की वजह से कीमतें 50 रुपये प्रति क्विंटल तक कम हैं। इसकी वजह से किसानों की चिंता बढ़ी है। दक्षिण के चाय और कॉफी की फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ा है। वहां फसलों पर कीटों के हमले भी शुरू हो गए हैं। (BS Hindi)
20 सितंबर 2010
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