मुंबई September 11, 2010
भारत में तिलहन का उत्पादन 10 प्रतिशत बढऩे की उम्मीद है। बावजूद इसके तेल के उपभोक्ता राहत की सांस नहीं ले सकते। वैश्विक रूप से संवेदनशील इस जिंस की कीमतों में आने वाले महीनों में और तेजी आने के अनुमान हैं। वैश्विक रूप से खाद्य तेल की आपूर्ति आने वाले महीनों में कम रहने के आसार हैं।एक अनुमान के मुताबिक भारत का तिलहन उत्पादन 2010-11 में बढ़कर 346 लाख टन हो सकता है, जबकि पिछले साल 317 लाख टन उत्पादन हुआ था। इस बढ़ोतरी की प्रमुख वजह यह है कि मूंगफली और कॉटनसीड के रकबे में बढ़ोतरी हुई है। भारत का वनस्पति तेल उत्पादन 76 लाख टन रहने का अनुमान है जो पिछले साल हुए 72 लाख टन उत्पादन के करीब बराबर है। शायद ऐसा पहली बार होगा कि भारत का वनस्पति तेल का घरेलू उत्पादन और कुल आयात का अनुपात 50:50 का हो जाएगा, क्योंकि कुल खपत 150 लाख टन रहने का अनुमान है। खरीफ सत्र में तिलहन का रकबा 20 अगस्त 2010 के आंकड़ों के मुताबिक करीब 4 लाख हेक्टेयर बढ़ा है। उम्मीद की जा रही है कि पिछले साल के 153.19 लाख हेक्टेयर की तुलना में तिलहन का रकबा इस साल 161.4 लाख हेक्टेयर रहेगा। मूंगफली के रकबे में जोरदार बढ़ोतरी हुई है। खासकर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में मूंगफली का रकबा बढ़ा है। सोयाबीन के मामले में मध्य प्रदेश में इसका रकबा मामूली रूप से 2.8 लाख हेक्टेयर बढ़ा है, वहीं महाराष्ट्र में इसके रकबे में गिरावट आई है। अरंडी के रकबे में पिछले साल की तुलना में बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि किसानों को इस साल अधिक दाम मिलने की वजह से उन्होंने अरंडी की जमकर बुआई की है। बहरहाल यूएसडीए के अगस्त 2010 के अनुमान में कहा गया है कि 2010 में तिलहन का वैश्विक उत्पादन कम रहेगा। अब तिलहन का वैश्विक उत्पादन 4397.4 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि जुलाई 2010 में 4407.4 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया गया था। (BS Hindi)
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