मुंबई September 17, 2010
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज वायदा सौदा नियमन अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी। इसी के साथ जिंस वायदा बाजार में ऑप्शन और इंडेक्स वायदा शुरू हो जाएंगे। ये वायदा न होने के बावजूद जिंस वायदा बाजार में इक्विटी डेरिवेटिव बाजार से ज्यादा कारोबार होता है। इन योजनाओं के साथ जिंस बाजार के बढऩे का रास्ता भी साफ हो गया है। इसमें संस्थागत निवेशक भी कारोबार कर सकेंगेे। आज की मंजूरी के साथ ही वायदा बाजार आयोग को भी स्वायत्त दर्जा मिल गया है और वह अब सेबी के समान होगा। जिंस वायदा कारोबार इस साल 67 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया है और इस रफ्तार से लगता है कि दिसंबर तक यह आंकड़ा 100 लाख करोड़़ हो जाएगा। सेबी इस समय स्वतंत्र और स्वायत्त निकाय है जो प्रतिभूति बाजार का नियमन करता है जबकि वायदा बाजार आयोग जिंस वायदा बाजारों का नियमन करता है। 1953 में शुरू हुआ आयोग अभी तक उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अधीन था। आज के संशोधनों का मतलब है कि वायदा बाजार आयोग में 9 पूर्ण सदस्य और एक अध्यक्ष होगा। इसे अपने नियम बनाने का अधिकार होगा। चूंकि आयोग कई वर्षों से काम कर रहा है, इसलिए कई नियम उसके पास लगभग तैयार हैं। एक बार संसद से विधेयक पारित होने के बाद आयोग को सेबी की तरह के अधिकार मिल जाएंगे। इसके बाद आयोग और सेबी के अध्यक्ष एक-दूसरे के बोर्ड में बतौर सदस्य शामिल होंगे जिससे दोनों बेहतर तालमेल के साथ कारोबारी बाजारों की बेहतरी के लिए काम कर सकेंगे। जिंस आधारित ईटीएफ के नियमन में भी बेहतर स्पष्टïता आएगी। फिलहाल गोल्ड ईटीएफ की इजाजत है और इनका नियमन सेबी करता है। चांदी और कच्चे तेल के ईटीएफ के आवेदन मंजूरी के लिए पड़े हुए हैं, क्योंकि इन ईटीएफ में जो संपत्ति है, वह सीधे सीधे सेबी के तहत नहीं आती। आज के संशोधन के साथ ही ऑप्शन कारोबार, सूचकांक आधारित कारोबार के अलावा भाड़ा तथा मौसम से संबंधित कारोबारों की भी शुरुआत हो सकेगी। संभव है कि बारिश सूचकांक भी शुरू हो। जिंस में जोखिम की सुरक्षा के लिए ऑप्शंस को सस्ता साधन माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के फैसले से वैश्विक जिंस बाजार में भारत की स्थिति मजबूत होगी और वह चीन के बराबर आ जाएगा। उम्मीद है कि भारत के बाजार चीनी बाजारों को टक्कर देंगे। इस समय मौजूदा जिंस बाजार विभिन्न सूचकांक तो बनाते हैं, लेकिन इनमें कारोबार की इजाजत नहीं है। वायदा आयोग के अधिकारियों का कहना है कि अब वे ऐसे सूचकांक बनाएंगे जिनमें कारोबार हो सकेगा। सूचकांक आधारित कारोबार से शेयर बाजार में भी हलचल बढ़ी है। उनका कहना है कि जिंस बाजार में संस्थागत निवेशक भी शामिल हो सकेंगे। (BS Hindi)
17 सितंबर 2010
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