चंडीगढ़ September 28, 2010
सरकारी एजेंसियों और मिलों के बीच पीएयू 201 किस्म के धान की मिलिंग को लेकर पैदा हुआ गतिरोध अब जल्द ही समाप्त हो जाने की संभावना है। केंद्र सरकार ने एफसीआई को निर्देश दिया है कि वह चावल को हटाए और निविदाओं के जरिये बाकी चावल की खुले बाजार में बिक्री करे। एफसीआई पंजाब के अधिकारी भारत सरकार की सिफारिशों पर अमल के लिए रूपरेखाओं को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने संकेत दिया कि जो भंडार एफसीआई के विनिर्देशों के अनुकूल नहीं होगा, उसे खुली निविदाओं के जरिये बेचा जाएगा। खराब रंग, चावल टूटने और इस पर काला धब्बा पडऩे जैसी घटनाओं के बाद किसानों से पीएयू 201 किस्म की बुआई नहीं किए जाने को कहा गया था। धान की यह किस्म पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना द्वारा विकसित की गई थी। इस किस्म को कम पानी की खपत और संक्षिप्त कार्यकाल को ध्यान में रख कर विकसित किया गया। खरीद भाव और चावल की बिक्री कीमत के बीच अंतर को राज्य और केंद्र सरकार दोनों समान अनुपात में वहन करेंगी। पंजाब खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के सूत्रों का कहना है कि पंजाब की चावल मिलों में 20 लाख टन से अधिक पीएयू 201 चावल पड़ा हुआ है। खरीफ की कटाई सत्र नजदीक है और सरकारी एजेंसियां मौजूदा स्टॉक को जल्द से जल्द निपटाए जाने के लिए कोई असर नहीं छोड़ रही हैं। पंजाब राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तरसेम सैनी ने बताया कि मौजूदा गति से धान के 2009-10 के स्टॉक की प्रक्रिया को पूरा किए जाने में कम से कम पांच महीने का समय लगेगा। धान का स्टॉक पूरे राज्य में 3000 से अधिक मिलों में फैला हुआ है। इसलिए इस स्टॉक के आकललन के लिए रूपरेखा तैयार करना एफसीआई के लिए आसान काम नहीं होगा। दूसरी तरफ नए धान की खरीद की तारीख भी नजदीक आ रही है जिससे एफसीआई की चिंता और बढ़ गई है। 2010-11 की फसल के लिए नए धान की खरीद आधिकारिक रूप से 1 अक्टूबर से शुरू होनी है। (BS Hindi)
30 सितंबर 2010
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