मुंबई September 24, 2010
इस साल भारत में तांबे की खपत 15 प्रतिशत बढऩे का अनुमान लगाया जा रहा है, जो दशक में सर्वाधिक होगा। इसकी वजह यह है कि बिजली, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स , औद्योगिक मशीनरी, संयंत्र और निर्माण क्षेत्र में तांबे की मांग बढ़ी है। वहीं 2011 में खपत में बढ़ोतरी का अनुमान है।क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की हाल की रिपोर्ट के मुताबिक देश में तांबे की खपत इस साल के अंत तक बढ़कर 6,50,000 टन हो जाएगी, जबकि पिछले कैलेंडर वर्ष में खपत 5,65,000 टन थी। वर्ष 2011 में तांबे की कुल खपत 7,20,000 टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2000 से 2009 के बीच तांबे की खपत में औसतन सालाना 9.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं 2008 में खपत में 0.1 प्रतिशत की कमी आई थी। खपत की दर में कमी आने की प्राथमिक वजह घरेलू क्षमता और आपूर्ति में कमी, ज्यादा आयात शुल्क रहा। साथ ही टेलीकॉम, और पॉवर इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में निवेश भी कम हुआ। खपत में वृद्धि दर 2007 तक ज्यादा थी। 2008 और 2009 में मंदी आई क्योंकि तांबे की कीमतें बढ़ गईं और साथ ही औद्योगिक उत्पादन निर्माण गतिविधियों में मंदी का भी असर रहा। यहां तक कि 2009 में जब मंदी चरम पर थी तो भारत में तांबेे की खपत में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गई। बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर खर्च और विनिर्माण क्षेत्र में तेजी की वजह से तांबे की मांग बनी रही। भारत में प्रति व्यक्ति तांबे की वार्षिक खपत 0.47 किलो है, जो चीन में 5.4 किलो प्रति व्यकि खपत से बहुत कम है। वहीं तांबे की प्रति व्यक्ति वैश्विक खपत का औसत 2.7 किलोग्राम है। टेलीकॉम सेक्टर में मांग में स्थिरता आने के बाद इलेक्ट्रिकल सेक्टर तांबे का सबसे बड़ा उपभोक्ता बनकर उभरा है। सरकार द्वारा हाल में उठाए गए कदमों (एसईबी पुनर्गठन, 2003 का इलेक्ट्रिसिटी एक्ट, पारेषण और वितरण बढऩे) से पॉवर सेक्टर में निवेश बढ़ा है। 11वीं पंचवर्षीय योजना (2008-12) में बिजली उत्पादन क्षमता करीब 78,700 मेगावाट होगी। वितरण और पारेषण पर निवेश, विद्युत उत्पादन क्षमता में विस्तार को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि 11वीं योजना के दौरान 2008-12 के बीच कुल 8 लाख टन और 2013—17 के बीच 8.1 लाख टन तांबे की जरूरत होगी। विद्युत चालन क्षमता बहुत ज्यादा होने की वजह से तांबे के तार और केबल का प्रयोग बिजली के पारेषण व वितरण तथा टेलीफोन के सिगनल भेजने में होता है। तांबे की खपत में बढ़ोतरी में प्रमुख भूमिका ऑटोमोटिव सेक्टर की भी है। वाहन और उसके कल पुर्जों के निर्माण के क्षेत्र में इस समय तेज बढ़ोतरी हो रही है। (BS Hindi)
25 सितंबर 2010
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