नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। वायदा बाजार को व्यवस्थित करने के लिए सरकार ने कदम उठाया है। इसके लिए वायदा बाजार आयोग [एफएमसी] को स्वायत्तता प्रदान करते हुए और अधिकार देने का फैसला किया गया है।
एफएमसी को शेयर बाजार नियामक सेबी के बराबर का दर्जा मिल जाएगा। इससे जिंस कारोबार के नियामक एफएमसी को लेकर चल रहा विवाद थम गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की गुरुवार को हुई बैठक में फारवर्ड कांट्रैक्ट [नियमन] संशोधन विधेयक 2010 को हरी झंडी मिल गई। इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।
संशोधन विधेयक पर संसद की स्थायी समिति का सिफारिशें मिल चुकी हैं। कैबिनेट में मिली मंजूरी के बाद एफएमसी कानूनी रूप से और मजबूत हो गया है। स्वायत्तता मिलने के बाद आयोग को वायदा बाजार को संचालित करने में काफी सहूलियत मिल जाएगी। इस संशोधन विधेयक के पारित हो जाने के बाद एफएमसी को जिंस बाजार में आप्शन सौदे शुरू करने की छूट मिल जाएगी। इससे किसानों समेत सभी पक्षकारों को मूल्यों में होने वाली घट-बढ़ के नुकसान की आशंका कम हो जाएगी।
फारवर्ड कांट्रैक्ट [नियमन] अधिनियम 1952 में किए गए संशोधनों से आयोग के अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ा दिया गया है। अब एफएमसी के पास दंडित करने का भी अधिकार होगा। आयोग की आय को आयकर की छूट मिलेगी। परंपरागत तरीके से काम कर रहे आयोग को वर्ष 2003 में पहली बार उदार बनाते हुए इसका नियमन शुरू किया गया। वर्तमान में एफएमसी देश के सभी 23 कमोडिटी एक्चेंजों की निगरानी करता है। विधेयक को संसद के आगामी सत्र में पारित करा लिये जाने की संभावना है।
पचास जिलों में शुरू होगा बीमा का पायलट प्रोजेक्ट
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के संशोधित मसौदे को मंजूरी दे दी है। राज्यों के साथ विचार-विमर्श के बाद योजना को किसानों के अनुकूल बनाया गया है। इसे अगले दो सालों के दौरान प्रायोगिक आधार पर 50 जिलों में लागू किया जाएगा। इसे चालू रबी सत्र से ही लांच कर दिया जाएगा। कैबिनेट ने दो सालों के लिए 358 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान को भी मंजूरी दी है।
योजना को लागू किए जाने के बाद किसान अब ज्यादा बेहतर तरीके से कृषि उपज के जोखिम का प्रबंधन कर सकेंगे। इससे किसानों को प्राकृतिक आपदा या अन्य संकट के समय खेती में होने वाले नुकसान की भरपाई हो सकेगी। (Dainik Jagarn)
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