मुंबई September 20, 2010
महाराष्ट्र में गन्ने की उपलब्धता और चीनी उत्पादन बढऩे की उम्मीद है। अगस्त और सितंबर महीने में राज्य के गन्ना उत्पादक इलाकों में 122 प्रतिशत बारिश हुई है। उम्मीद की जा रही है कि ज्यादा बारिश होने की वजह से पेराई 2 महीने की देरी से शुरू हो पाएगी। राज्य सरकार और फेडरेशन आफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज के पुनरीक्षित आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 825 लाख टन गन्ने की पेराई होने का अनुमान है, जबकि इसके पहले 750 लाख टन गन्ने की पेराई का अनुमान लगाया गया था। इसी तरह से चीनी उत्पादन 95 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि इसके पहले 86 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया गया था। अब तक महाराष्ट्र में 798 लाख टन गन्ने की पेराई का रिकॉर्ड था, जो 2006-07 में हुआ था। उस साल कुल 91 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इस साल उत्पादन का नया रिकॉर्ड बनने की उम्मीद है।उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र की ही तरह उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात और आंध्र प्रदेश में भी बेहतर बारिश हुई है और गन्ने की फसल अच्छी है। वर्तमान अनुमान के मुताबिक देश में 230 लाख टन चीनी उत्पादन की उम्मीद है, जो बढ़कर 250-260 लाख टन हो सकता है। यह देश की घरेलू जरूरतों से बहुत ज्यादा होगा। फेडरेशन आफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज इन महाराष्ट्र के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा, 'मॉनसूनी बारिश की अवधि बढऩे से गन्ने के खेतों में नमी है और अभी वहां गन्ने काटने का काम नहीं हो सकता है। इसके चलते गन्ने की फसल देर तक खेतों में खड़ी रहेगी। इससे गन्ने का वजन बढ़ेगा और उससे चीनी का उत्पादन बढ़ेगा। किसानों को गन्ने के वजह के आधार पर भुगतान होता है, इसलिए उनकी कमाई भी बढ़ेगी। साथ ही चीनी मिलों की रिकवरी भी बढ़ेगी।Óनाइकनवरे ने कहा कि केंद्र सरकार जब तक चीनी के अतिरिक्त उत्पादन के निर्यात की अनुमति नहीं देती है, चीनी की कीमतों पर दबाव बढ़ेगा। उनके मुताबिक चीनी के दाम इस समय उत्पादन लागत से कम हैं (चीनी की एक्स मिल कीमतें 2450 रुपये प्रति क्विंटल हैं, जबकि उत्पादन लागत औसतन 2700 रुपये प्रति क्विंटल है)। इस समय एक क्विंटल चीनी की बिक्री पर 250 रुपये का घाटा हो रहा है। केंद्र सरकार चीनी निर्यात की अनुमति देने के मामले में सावधानी बरत रही है। पहले चरण में केंद्र ने अग्रिम लाइसेंस के तहत किए जाने वाले चीनी निर्यात को अनुमति दी है। उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि इस समय सामान्य निर्यात की अनुमति मिलनी चाहिए, जिससे चीनी की वर्तमान कीमतों का फायदा उठाया जा सके और चीनी उद्योग संकट से बच सके। सूत्रों का कहना है कि इस समय चीनी निर्यात के लिए कीमतें आकर्षक हैं। इस समय लंदन एक्सचेंज में चीनी की कीमतें 600 डॉलर प्रति टन हैं, वहीं न्यूयॉर्क एक्सचेंज में कच्ची चीनी का कारोबार 510 रुपये प्रति टन के भाव हो रहा है। मुंबई के एक विश्लेषक ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, 'भारत की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि वह पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल की सफेद चीनी की जरूरतों को पूरी कर सकता है। वहीं कच्ची चीनी का निर्यात आकर्षक दरों पर चीन और रूस को किया जा सकता है। अगर ज्यादा मात्रा में चीनी बाहर भेजी जाती है तो इससे घरेलू चीनी उद्योग पर दबाव कम होगा। (BS Hindi)
21 सितंबर 2010
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