September 13, 2010
वर्ष 2001 में सोने में किया गया 100 रुपये का निवेश आज 460 रुपये होता। शेयरों में इतनी ही मात्रा में किया गया निवेश मौजूदा समय में 450 रुपये और सरकारी प्रतिभूतियों में किया गया निवेश 296 रुपये होता। निहित सुरक्षा को देखते हुए ये रिटर्न उम्मीद की तुलना में काफी अच्छे होंगे। सोने की असाधारण कीमतों की वजह आभूषणों की मांग में इजाफा होना है। सोने के लिए वैश्विक मांग पिछले दशक में 2100 टन से घट कर 1900 टन प्रति वर्ष रह गई। इसमें भारत का योगदान 200 टन का है और मात्रा के संदर्भ में यह देश सबसे बड़ा उपभोक्ता है। हालांकि मात्रा की दृष्टिï से वैश्विक मांग 20 अरब डॉलर से बढ़ कर 80 अरब डॉलर हो गई है। ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्ïस) में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। इससे दीर्घावधि को लेकर सोने में बढ़ते निवेश का संकेत मिलता है। पिछले पांच वर्षों में निवेश मांग 203 टन से बढ़ कर 550 टन हो गई है। चालू वैश्विक ईटीएफ होल्डिंग का हमारा अनुमान 100 अरब डॉलर का है। दोहरी गिरावट, या आर्थिक बहाली की चिंताओं, यूनान ऋण संकट की शुरुआत के बाद सोने की मांग में पुन: तेजी देखी गई है।हालांकि सोने की आपूर्ति आनुपातिक रूप से नहीं बढ़ी है। कीमतों में तेज उछाल के बीच वैश्विक स्वर्ण उत्पादन 3,938 टन से बढ़ कर 4,070 टन पर रहा है। समान अवधि में खदान उत्पादन 2,445 टन से मामूली बढ़ कर 2530 टन रहा। पश्चिमी दुनिया में सुरक्षा और रिटर्न के अभाव की वजह से निवेशक जोखिम-प्रतिकूल बने रहेंगे। इससे अगली कुछ तिमाहियों में सोने की कीमतों को मदद मिल सकती है। हमें उम्मीद है कि अगली कुछ तिमाहियों के लिए नरम मौद्रिक नीति बरकरार रह सकती है और इस वजह से इस अवधि के लिए सोने में तेजी बरकरार रहेगी। लेकिन सख्त मौद्रिक व्यवस्था लागू होने के बाद हम इसकी कीमतों में तेज गिरावट देख सकते हैं जिससे सभी परिसंपत्ति वर्गों में पूरा निवेश पैटर्न प्रभावित हो सकता है। (BS Hindi)
13 सितंबर 2010
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