मुंबई September 28, 2010
भारत में वनस्पति तेल उद्योग की ओर से इस साल दो रिकॉर्ड बनाए जाने की संभावना है। पहला, वर्ष 2010-11 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान तेल खपत 1.57 करोड़ टन की सर्वाधिक ऊंचाई बना सकती है जो पूर्ववर्ती वर्ष में 1.48 करोड़ टन थी। दूसरा, सोयामील निर्यात 34 लाख टन को पार कर सकता है जो आर्थिक संकट से पूर्व के वर्ष 2007-08 में 32 लाख टन की रिकॉर्ड ऊंचाई पर था। प्रति व्यक्ति खपत में तेज वृद्घि की वजह से वनस्पति तेल की कुल खपत में इस साल 4.4 फीसदी का इजाफा होने की संभावना है। यह वृद्घि पूर्ववर्ती वर्ष में 4 फीसदी थी। गोदरेज इंटरनैशनल के निदेशक दोराब मिस्त्री कहते हैं, 'तेजी से बदल रही खान-पान आदतों की वजह से खपत बढ़ेगी। मौजूदा समय में ज्यादातर लोग घर से बाहर किसी होटल, मोटल या अन्य भोजनालयों में जाना पसंद करते हैं जहां बड़ी मात्रा में वनस्पति तेल का इस्तेमाल किया जाता है। चूंकि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार की वजह से औसतन आय में भी इजाफा हो रहा है। इसलिए खान-पान आदतों में बदलाव भी देखा जा रहा है। हमारा अनुमान है कि अगले साल भारत में वनस्पति तेल खपत 1.57 करोड़ टन के लक्ष्य को हासिल कर लेगी।गोबिंदभाई पटेल के नेतृत्व वाली जी जी पटेल ऐंड निखिल रिसर्च कंपनी के अनुमान के अनुसार घरेलू बीज की पेराई से उपलब्धता इस साल 6 लाख टन तक बढऩे की संभावना है। इसकी प्रमुख वजह यह भी है कि इस बार खरीफ फसल अच्छी रही है जिससे पेराई में इजाफा होगा।बुआई क्षेत्र में 3.40 लाख हेक्टेयर की गिरावट के बावजूद 2010-11 के खरीफ सत्र के दौरान कुल तिलहन उत्पादन बढ़ कर लगभग 1.4 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो पूर्ववर्ती वर्ष में 1.22 करोड़ टन था। पटेल ने कहा कि अच्छे मॉनसून से भी इस बार उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।मिस्त्री को उम्मीद है कि बढ़ती रिटेल खपत की वजह से भारत का वनस्पति तेल आयात इस साल 90 लाख टन को पार कर जाएगा। इस साल अगस्त में वनस्पति तेल आयात 64 फीसदी की वृद्घि के साथ 10,65,641 टन था, जबकि पूर्ववर्ती वर्ष के समान महीने में यह महज 650,603 टन था। हालांकि तेल वर्ष (नवंबर 2009 से अक्टूबर 2010) के पहले 10 महीनों में वनस्पति तेल आयात महज 5 फीसदी की बढ़त के साथ 74,47,955 टन रहा जो पूर्ववर्ती वर्ष की समान अवधि में 70,70,491 टन था।तिलहनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) फिलहाल बहुत कम है। भारतीय किसानों के लिए बड़ी मुश्किल स्थिति बनी हुई है। सोयाबीन की एमएसपी फिलहाल 8.20 डॉलर प्रति बुशल बैठती है, जो सोयाबीन के मौजूदा वैश्विक भाव से तकरीबन 25 फीसदी कम है।मंत्रालय का कहना है, 'यदि हम सोयाबीन की एमएसपी 11.50 डॉलर प्रति बुशल रखते हैं, तो यह करीब 2,000 रुपये प्रति क्विंटल पड़ेगा। मैं समझता हूं कि यह इस वर्ष किसानों के लिए उनकी फसल के वास्ते पर्याप्त भाव होगा। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2010-11 के लिए पीले सोयाबीन की एमएसपी 1,440 रुपये प्रति क्विंटल रखी है, जो पिछले वर्ष 1,390 रुपये प्रति क्विंटल थी। (BS Hindi)
30 सितंबर 2010
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