मुंबई September 07, 2010
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के घरेलू क्षेत्र बारामती (महाराष्ट्र) के गन्ना किसानों के आंदोलन के चलते पिछले 4 दिनों से इलाके की 15 से ज्यादा सहकारी चीनी मिलों से चीनी की निकासी ठप पड़ी हुई है। आंदोलन पर उतरे किसान चीनी एवं गन्ने के भाव बढ़ाने के साथ-साथ कटाई एवं ढुलाई मजदूरों को दी जाने वाली न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। बारामती इलाके में सैकड़ों ट्रक खड़े हैं क्योंकि आंदोलनरत किसानों ने चीनी मिलों की चेतावनी दे रखी है कि वे खुदरा बाजार में 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से कम भाव पर चीनी की बिक्री न करें। गौरतलब है कि इस इलाके से चीनी का उठाव ठप पडऩे की वजह से स्थानीय स्तर पर चीनी के भाव में 50-75 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्घि हो चुकी है। आसपास के व्यापारियों समेत मध्य प्रदेश, गुजरात और अन्य राज्यों के आपूर्तिकर्ता इस स्थिति का फायदा उठा रहे हैं।इस किसान आंदोलन के संयोजक रघुनाथ पाटिल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'हम चाहते हैं कि चीनी मिलें 30 रुपये प्रति किलोग्राम से कम भाव पर चीनी की बिक्री न करें और वे किसानों को 2,200 रुपये प्रति टन के भाव पर पहली अग्रिम राशि का भुगतान करें। इसके अलावा गन्ने की कटाई एवं ढुलाई करने वाले किसानों को न्यूनतम 200 रुपये मजदूरी दी जानी चाहिए।'महाराष्ट्र के सहकारी मंत्री हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि वे जल्दी ही इस मामले से जुड़े लोगों के साथ एक बैठक करेंगे ताकि चीनी की बिक्री बाधित न हो। महाराष्ट्र में सहकारी चीनी मिलों के महासंघ के सूत्रों ने संकेत दिया कि 3,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर चीनी की बिक्री संभव नहीं है। सूत्रों का कहना है कि चीनी के भाव में गिरावट आने की वजह से गन्ने का भाव भी गिरने की आशंका जताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि तकरीबन 20 फीसदी लेवी चीनी 1,800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर उठने से चीनी मिलों पर दबाव बढ़ा है। यही वजह है कि वे किसानों को गन्ने के लिए अधिक भाव चुकाने की स्थिति में नहीं हैं। (BS Hindi)
08 सितंबर 2010
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