13 सितंबर 2010
वायदा कारोबार होगा 90 लाख करोड़ के पार
सात साल पहले शुरू हुए कमोडिटी वायदा एक्सचेंजों का कारोबार अब तेजी से बढ़ रहा है। कमोडिटी पार्टिसिपेट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीपीएआई) के अध्यक्ष गोपाल के अग्रवाल ने कहा कि साल के अंत तक कारोबार में ३० फीसदी की वृद्धि होने की संभावना है। इस वृद्धि के साथ यह कारोबार ९० लाख करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि सोने-चांदी में सबसे ज्यादा मांग बढऩे की उम्मीद है। पिछले साल चार राष्ट्रीय एक्सचेंजों और १९ क्षेत्रीय एक्सचेंजों ने ७० लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया था। यह कारोबार कई कमोडिटी के वायदा कारोबार पर लगी रोक के बावजूद हुआ था। कमोडिटी एक्सचेंजों का कारोबार स्टॉक एक्सचेंजों को पीछे छोडऩे की संभावना से उन्होंने इनकार किया। वर्तमान में एमसीएक्स और एनसीडीईएक्स में लगभग १०,००० करोड़ रुपये का कारोबार रोजाना होता है। जबकि एनएसई और बीएसई में एक दिन में लगभग ७०,००० करोड़ रुपये का कारोबार करते हैं। सीपीएआई के अनुसार वायदा कारोबार में वृद्धि की बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं। स्थानीय मंडियों के विकास के साथ ही सप्लाई चेन में निवेश करके स्थिति को बेहतर बनाया जा सकता है। अग्रवाल ने कहा कि हाजिर बाजार के सुधार तक वायदा बाजार में सोने-चांदी जैसी कमोडिटी में बढ़त बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि कृषि संबधी कमोडिटीज पर राज्य सरकारों का नियंत्रण होने के कारण इन कमोडिटी में वायदा कारोबार उतना ऊपर नहीं जा पाता। इसके विपरीत सोने- चांदी जैसी नॉन एग्री कमोडिटी पर वैश्विक बाजार का सीधा प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि सोने-चांदी जैसी कमोडिटीज के कारोबार में अपेक्षाकृत ज्यादा पारदर्शिता होती है। गोपाल के अग्रवाल ने कहा कि फिलहाल भले ही स्थिति ज्यादा अच्छी न हो, लेकिन भविष्य में मंडियों के सुधार के साथ भारत कृषि कमोडिटीज के हब के रूप में उभरेगा। (Business Bhaskar)
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