मुंबई September 22, 2010
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खाद्यान्न के मुफ्त वितरण का आदेश दिए जाने के बाद खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने गरीबी रेखा के नीचे रह रहे परिवारों को 2 एवं 3 रुपये प्रति किलो गेहूं और चावल दिए जाने का फैसला किया है। राज्य सरकारों को लिखे गए एक पत्र में केंद्र सरकार ने राज्यों से अनुरोध किया है कि वे राज्य की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को पूरी तरह चुस्त-दुरुस्त करें, जिससे कि 17.10 लाख टन चावल और 7.90 लाख टन गेहूं का वितरण हो सके। यह काम मार्च 2011 से पहले पूरा किया जाना है। एक अधिकारी ने कहा, 'गेहूं का उठान पहले ही शुरू हो चुका है। यह वह खाद्यान्न नहीं है, जो गोदामों में खराब हो गया। वितरित किए जाने वाले अनाज का प्रयोगशाला में परीक्षण हो चुका है और यह मनुष्यों को खाने के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।Ó वर्तमान में देश भर में 6.52 करोड़ परिवारों को गरीबी रेखा के नीचे पंजीकृत किया गया है, जिन्हें हर साल 35 किलो खाद्यान्न दिया जाता है। बीपीएल परिवारों को चावल की बिक्री 5.65 रुपये प्रति किलो और गेहूं की बिक्री 4.15 रुपये प्रति किलो के भाव की जाती है। उम्मीद की जा रही है कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय को ब्योरा देगी, जिसमें गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों को खाद्यान्न दिए जाने की व्यवस्था की गई है। इस सप्ताह न्यायालय में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के बारे में18 राज्यों के सुझावों पर सुनवाई होगी। खाद्यान्न के भंडारण के लिए भी मंत्रालय ने कोशिशें तेज कर दी हैं। एक नई योजना शुरू की गई है, जिसमें सरकारी गोदामों के साथ निजी क्षेत्र के गोदामों को किराए पर लेने की व्यवस्था है। इस योजना के तहत मंत्रालय ने कहा है कि वह निजी क्षेत्र के गोदाम मालिकों से 10 साल के लिए गोदाम किराए पर लेगा। हाल ही में न्यायालय को दिए गए जवाब में मंत्रालय ने कहा था कि खाद्यान्न के मुफ्त वितरण से सरकार पर सब्सिडी का बोझ बढ़ेगा और सब्सिडी उम्मीद से बहुत ज्यादा हो जाएगी। इसमें कहा गया कि बीपीएल परिवारों को खाद्यान्न पहले ही बाजार भाव से बहुत कम दाम पर दिया जा रहा है। भंडारण क्षमता के मुताबिक खरीदारी करने के बारे में न्यायालय द्वारा उठाए गए सवाल पर मंत्रालय ने कहा कि पीडीएस प्रणाली के तहत खाद्यान्न की बिक्री के लिए गेहूं, चावल, चीनी की खरीदारी होती है, लेकिन इसमेंं यह भी लक्ष्य होता है कि किसानों को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। अगर सरकार खरीदारी रोक देती है तो किसान इन फसलों की जगह नकदी फसल की ओर आकर्षित हो जाएंगे। लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के तहत पहले ही टास्क फोर्स का गठन हो चुका है और पीडीएस प्रणाली के तहत प्रति यूनिट के आधार पर खाद्यान्न के वितरण की नीति बनाई गई है। एक अधिकारी ने स्पष्ट किया, 'इस समय हम कमोबेश परिवार के आधार पर प्रति परिवार प्रति माह खाद्यान्न का वितरण पीडीएस के तहत करते हैं। इसमें परिवार के सदस्यों का ध्यान नहीं रखा जाता है। अब नई व्यवस्था में यूनिट के आधार पर खाद्यान्न वितरण करने की व्यवस्था की गई है और यूनिटों की संख्या परिवार के सदस्यों के आधार पर तय की जाएगी। आदर्श रूप से प्रति यूनिट प्रति माह 5-6 किलो खाद्यान्न का वितरण सब्सिडी दरों पर किया जाएगा। (BS Hindi)
23 सितंबर 2010
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