September 27, 2010
असमानता के बावजूद सामान्य से 4 फीसदी अधिक बारिश देश के कृषि क्षेत्र के लिए वरदान साबित हुई है। इसके परिणाम स्वरूप देश में 10.06 करोड़ हेक्टेयर कृषि क्षेत्र में फसलें बोई जा सकीं। पिछले साल सूखा प्रभावित रहे खरीफ फसलों के क्षेत्र में 65 लाख हेक्टेयर जमीन पर भी बुआई संभव हो सकी। सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण बात यह रही कि वर्ष 2008 की तुलना में 2 लाख हेक्टेयर अधिक जमीन पर खरीफ फसल की बुआई हुई, जबकि तब मॉनसून काफी अच्छा रहा था। पिछले साल की तुलना में सभी फसलों के बुआई क्षेत्र में इजाफा दर्ज किया गया। सबसे अधिक वृद्धि धान की बुआई में रही। इसके बुआई क्षेत्र में 20 लाख हेक्टेयर का इजाफा दर्ज किया गया। वहीं दलहन फसलों में प्रत्येक दाल के बुआई क्षेत्र में लगभग 19.70 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई। ऊंची कीमत की उम्मीद भी एक कारण रही कि किसानों ने अधिक मात्रा में दलहन फसलों की बुआई की। हालांकि, उत्तर भारत के बाढ़ प्रभावित कुछ क्षेत्र और पूरब के कुछ हिस्सों में मॉनसून की कमी ने बुआई को प्रभावित किया। इसके बावजूद देश भर में बुआई काफी अच्छी रही।कुछ हिस्सों में मॉनसून सौगात बनकर आया तो कहीं-कहीं पर इसने नुकसान भी पहुंचाया। सितंबर में 22 फीसदी अधिक बारिश होने से उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में बाढ़ आ गई तो इसी दौरान पूर्वोत्तर में बारिश की कमी से बाढ़ से कुछ राहत भी मिली। इससे दक्षिण-पश्चिम बंगाल के बड़े हिस्से में धान की बुआई संभव हो सकी।इसके अलावा मॉनसून की कमी वाले पूर्वी क्षेत्र में कई किसान दलहन या चारे या रबी की फसलों की बुआई की तैयारी में जुटे हुए हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने अब तक किसी फसल की बुआई नहीं करने वाले इस क्षेत्र के किसानों को रबी फसलों (सब्जियों) की बुआई करने की सलाह दी है। असम के कई किसानों ने इस सलाह पर अमल भी करना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ दिनों के दौरान उत्तर भारत में बारिश में गिरावट से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से पानी निकलने लगा है। ऐसे क्षेत्रों के किसानों को मुरझाई फसल पुनर्जीवित करने के लिए नाइट्रोजन की अतिरिक्त खुराक (30 किग्रा प्रति हेक्टेयर) का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। जहां बाढ़ के कारण फसल पूरी तरह बरबाद हो गई है, किसानों को तोरिया की बुआई करने की सलाह दी गई है। इससे रबी की बुआई के लिए जमीन जल्दी खाली हो जाएगी।भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने 2 दिन के भीतर पश्चिमी राजस्थान और पूरे उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र से मॉनसून की वापसी की संभावना जताई है। मध्य और पूर्वी भारत से 6 अक्टूबर तक बारिश खत्म हो सकती है।मौसम विभाग के मुताबिक, देश भर में 25 सितंबर तक अनुमानित 900.8 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य 865 मिमी से 4 फीसदी अधिक रही। पूर्वी क्षेत्र को छोड़कर, जहां सामान्य से 30 फीसदी कम बारिश हुई, देश के 3 अन्य क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बारिश हुई। दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य से 21 फीसदी अधिक, उत्तर-पश्चिम में 15 फीसदी अधिक और मध्य भारत में 5 फीसदी अधिक बारिश हुई।देश के मौसम संबंधी 36 उपभागों में से इस साल सिर्फ 5 में सामान्य से कम बारिश हुई, जबकि पिछले साल 22 उपभागों में कम बारिश हुई थी। भौगोलिक स्तर पर देखें तो देश 85 फीसदी भूभाग पर सामान्य या उससे अधिक बारिश हुई। कृषि के परिप्रेक्ष्य में देखें तो फसलों के लिए मॉनसून निराशाजनक नहीं रहा। यह मॉनसून मुख्य रूप से जलाशयों के लिए काफी अच्छा रहा। 23 सितंबर को देश के 81 बड़े जलाशयों में 115 अरब घन मीटर जल का भंडार था, जो पिछले साल से 26 फीसदी अधिक था और दीर्घकालिक औसत से 17 फीसदी अधिक था। (BS Hindi)
30 सितंबर 2010
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