नई दिल्ली September 06, 2010
केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत को आज आश्वासन दिया कि उसका देश के गरीबों के बीच अनाज बांटने के मसले पर उसके साथ टकराव का कोई इरादा नहीं है और इस मुद्दे पर जो भ्रम की स्थिति पैदा हुई है उसके लिए मीडिया जिम्मेदार है। अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल मोहन पराशरन ने न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा के खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुति में कहा कि मीडिया के एक वर्ग में गलत खबरें प्रकाशित की जा रही हैं जिससे यह धारणा बन रही है कि सरकार इस मुद्दे पर न्यायपालिका के साथ टकराव के मूड में है।पराशरन ने एक हलफनामे का रिकार्ड भी पेश किया, जिसमें जरूरतमंद लोगों को वाजिब मूल्य पर खाद्यान्न का वितरण करने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का उल्लेख किया गया है।सर्वोच्च अदालत ने हलफनामे का रिकॉर्ड देखते हुए कहा कि 'कम लागत' या 'नि:शुल्क' खाद्यान्न आपूर्ति के लिए जारी पूर्व निर्देश के मद्देनजर सरकार द्वारा दाखिल विस्तृत जवाब देखकर वह 'काफी खुश' है। हालांकि, अनाज गोदामों में सडऩे के बजाय इसे गरीबों में मुफ्त बांटने के न्यायालय के निर्देश के बारे में सरकारी हलफनामे में जिक्र नहीं किया गया है। पराशरन ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसके पूर्व निर्देश के मुताबिक, केंद्र सरकार ने बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले लोग) मूल्य पर वितरण के लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को अतिरिक्त 25 लाख टन खाद्यान्न आवंटित करने का निर्णय लिया गया है।उल्लेखनीय है कि केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के इस बयान के बाद कि सरकार गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न बांटने के लिए बाध्य नहीं है क्योंकि न्यायालय ने इसका केवल सुझाव दिया है न कि निर्देश, न्यायालय के निर्देश से विवाद पैदा हो गया था। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त को स्पष्ट किया कि उसने आदेश दिया था न कि सुझाव। आज सुनवाई के दौरान पीठ ने मीडिया से मुद्दे को सही ढंग से पेश करने को कहा और बताया कि उसके आदेश वेबसाइट पर डाले गए हैं।
मुफ्त अनाज वितरण पर चुप्पीउपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने आज सर्वोच्च अदालत को खाद्यन्न बर्बादी रोकने के लिए किए गए विभिन्न उपायों के बारे में जानकारी दी। मंत्रालय न्यायालय के उस आदेश का जवाब दे रहा था, जिसमें सरकार से कहा गया था कि वह गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले (बीपीएल) लोगों के लिए कम कीमत पर या मुफ्त खाद्यान्न आपूर्ति बढ़ाए।सरकार ने हालांकि इस मसले पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन उसने संकेत दिया कि देश की बीपीएल आबादी को अत्यधिक रियायती दरों पर खाद्यान्न बिक्री का विकल्प खुला रखा गया है और उसने बीपीएल भाव पर आपूर्ति के लिए राज्य सरकारों को 25 लाख टन अतिरिक्त गेहूं और चावल जारी करने का आदेश पहले से ही दिया हुआ है। इस व्यवस्था के तहत बीपीएल परिवारों को 4.15 रुपये प्रति किलोग्राम गेहूं और 5.65 रुपये प्रति किलोग्राम चावल की आपूर्ति की जाती है। इस भाव पर सरकार की ओर से गेहूं के लिए 11.29 रुपये प्रति किलोग्राम और चावल के लिए 14.78 रुपये प्रति किलोग्राम सब्सिडी दी जाती है।सरकार ने सर्वोच्च अदालत को यह भी बताया कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने पंजाब और हरियाणा में 55,121 टन गेहूं खराब हो जाने की सूचना दी है और यह मामला संबंधित राज्य सरकारों के समक्ष उठाया गया है। सरकार ने अदालत को यह जानकारी भी दी कि इस वर्ष पहली अगस्त तक एफसीआई के गोदामों में पड़े 12,418 टन खाद्यान्न खराब हो गए हैं। (BS Hindi)
07 सितंबर 2010
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