बेंगलुरु August 31, 2010
बेंगलुरु के गुलाब उत्पादक जय प्रकाश राव इस समय घरेलू बाजार में अपने गुलाब बेचने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। इसके पीछे कारण यह है कि मालभाड़े में तेज बढ़ोतरी हुई है और उत्पादन लागत भी बढ़ा है, जिसकी वजह से निर्यात महंगा पड़ रहा है। वहीं इथियोपिया और केन्या जैसे देशों में उत्पादन लागत कम है और वे धीरे-धीरे निर्यात बाजार में अपनी पैठ मजबूत कर रहे हैं। बेंगलुरु के बाहरी इलाके में राव 5 हेक्टेयर जमीन में गुलाब की खेती करते हैं। वे नये साल और वेलेंटाइन डे जैसे खास अवसरों पर अमेरिका और यूरोप के देशों में गुलाब की कलियों का निर्यात करते हैं। राव ने कहा, 'मालभाड़े में बढ़ोतरी, उत्पादन लागत बढऩे और अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा बढऩे की वजह से हमें निर्यात के बजाय घरेलू बाजार में संभावनाएं तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।'उन्होंने कहा कि दीर्घावधि के हिसाब से देखें तो घरेलू बाजार में भी गुलाब की कलियों की बिक्री करना किसानों के लिए लाभदायक नजर नहीं आ रहा है। कारोबारियों के मुताबिक गुलाब की एक कली का दाम निर्यात बाजार में किसानों को 6.50 रुपये से 7.50 रुपये मिलते हैं, वहीं घरेलू बाजार में इनकी बिक्री 2 से 4 रुपये में होती है। इंटरनैशनल फ्लावर आक्शन बेंगलुरु लिमिटेड (आईएफएबी) के जनरल मैनेजर जी शंकर मूर्ति ने कहा, 'निर्यात बाजार में किसानों को अपने उत्पाद के बेहतर दाम मिलते हैं, लेकिन गुलाबों की गुणवत्ता के हिसाब से जोखिम ज्यादा होता है। साथ ही उचित गारंटी, मुद्रा की समस्या और मांग में उतार चढ़ाव के संकट से भी जूझना पड़ता है।'आईएफएबी देश के फूलों की ई-नीलामी का एक केंद्र है, जो उत्पादकों को निर्यात करने में मदद करता है। भारत में हर साल करीब 34 करोड़ गुलाब की कलियों का उत्पादन होता है, जिसमें से 24 करोड़ (70 प्रतिशत) कलियों का उत्पादन कर्नाटक में होता है। शेष उत्पादन महाराष्ट्र, तमिलनाडु और देश के कुछ अन्य हिस्सों में होता है। साउथ इंडिया फ्लोरीकल्चर एसोसिएशन (एसआईएफए) के अध्यक्ष आरडी रेड्डी ने कहा, 'कर्नाटक, खासकर बेंगलुरु भौगोलिक रूप से कटे गुलाब के निर्यात हब के रू प में उभरा है, लेकिन इस समय हम केन्या, इथियोपिया जैसे उभरते बाजारों से प्रतिस्पर्धा में पीछे छूट रहे हैं।' उन्होंने कहा कि वहां की सरकारें कटे गुलाब के उत्पादन के लिए निश्चित मूल्य का फायदा देती हैं। एग्रीकल्चरल ऐंड प्रॉसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीडा) के आंकड़ों के मुताबिक भारत से फूलों का निर्यात 2009-10 में 293.97 करोड़ रुपये का रह गया है, जो 2006-07 में 566 करोड़ रुपये का था। इस तरह पिछले 4 साल में फूलों के निर्यात में 48 प्रतिशत की गिरावट आई है। (BS Hindi)
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