बेंगलुरु September 05, 2010
इस साल कर्नाटक में अरहर का बंपर उत्पादन होने की उम्मीद है। राज्य के उत्तरी क्षेत्र में समय से बेहतरीन बारिश हुई है, जहां अरहर की खेती होती है। इसका रकबा पिछले साल की तुलना में 2.3 गुना बढ़कर 8,33,000 हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल 3,50,000 हेक्टेयर था। इससे उम्मीद की जा रही है कि राज्य में इस साल अरहर उत्पादन में जोरदार बढ़ोतरी होगी। देश के कुल अरहर उत्पादन में कर्नाटक की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है। राज्य के कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक रकबे में बढ़ोतरी की प्रमुख वजह है कि इस साल अरहर उत्पादक उत्तरी कर्नाटक के इलाकों में जून और जुलाई महीने में बेहतरीन बारिश हुई है। राज्य के गुलबर्ग, बीदर, बीजापुर और बगलकोट जिलों में अरहर की खेती होती है। बारिश से प्रोत्साहित होकर किसानों ने बड़े पैमाने पर अरहर की खेती की और उन्होंने तिलहन की बुआई नहीं की। इसके अलावा कम अवधि की अन्य फसलों- चने और उड़द की बुआई भी बढ़ी।पिछले साल राज्य में अरहर का उत्पादन बहुत खराब रहा था। इसकी वजह यह है कि 2009-10 फसल वर्ष में बारिश कम हुई। बुआई के समय बारिश कम होने और सितंबर महीने में बहुत ज्यादा बारिश होने की वजह से उत्पादन पर बुरा असर पड़ा। राज्य के कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस साल अरहर की खेती बड़े पैमाने पर हुई है। वर्तमान संकेतों से अनुमान मिलता है कि राज्य में इस साल बंपर उत्पादन होगा। अगर प्रति हेक्टेयर 5 क्विंटल के औसत उत्पादन के हिसाब से देखें तो राज्य में इस साल 41 लाख क्विंटल अरहर उत्पादन हो सकता है, जो पिछले साल की तुला में 2.5 गुना ज्यादा होगा। पिछले साल कुल 16 लाख क्विंटल अरहर का उत्पादन हुआ था।बहरहाल असली उत्पादन कई तथ्यों पर निर्भर करता है। इसमें आने वाले दिनों में होने वाली बारिश, उर्वरक की उपलब्धता आदि शामिल है। कर्नाटक प्रदेश रेडग्राम ग्रोवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बासवराज इंगिन ने कहा, 'इस समय उत्पादन की भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी। इस साल गुलबर्ग के अरहर बुआई वाले इलाकों में बेहतर बारिश हुई है। हमें डर है कि कुछ निचले इलाकों में जल जमाव के चलते फसल खराब भी हो सकती है।' गुलबर्ग जिले में, जहां सबसे ज्यादा अरहर की बुआई होती है, अगस्त के अंत तक 120 प्रतिशत बारिश हुई है। गुलबर्ग में बुआई का रकबा 3,70,298 हेक्टेयर पहुंच गया है, जबकि 2,89,900 हेक्टेयर में अरहर बुआई का लक्ष्य रखा गया था। इस तरह से इस इलाके में बुआई के रकबे में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस साल ज्यादा बारिश होने की वजह से किसानों को जंगली घास के संकट का भी सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह से भी उत्पादकता प्रभावित हो सकती है। इंगिन ने कहा कि बंपर उत्पादन की उम्मीद से इस साल कीमतों पर भी पडऩे की उम्मीद है। गुलबर्ग में अरहर की कीमतों में पिछले सप्ताह अचानक गिरकर 3000 रुपये प्रति क्विंटल रह गई है, जो एक महीने पहले 4500 रुपये प्रति क्विंटल थीं। हालांकि उन्हें यह उम्मीद नहीं है कि कीमतें नई फसल की आवक पर पिछले साल की तरह 4000 रुपये प्रति क्विंटल रहेंगी। (BS Hindi)
07 सितंबर 2010
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