नई दिल्ली September 05, 2010
अगस्त महीने में सामान्य से 6 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई और सितंबर के पहले सप्ताह में भी सामान्य से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की जा रही है। इसकी वजह से उम्मीद बन रही है कि खरीफ में रिकॉर्ड फसल उत्पादन होगा। मौसम विभाग का अनुमान है कि सितंबर के अंत के पहले मॉनसून की वापसी नहीं होगी। इसकी वजह से रबी की फसलों को लेकर भी बेहतरीन संभावनाएं बन रही हैं। देश के ज्यादातर इलाकों में खरीफ की बुआई पूरी हो चुकी है। सिर्फ पूर्व के कुछ इलाकों में बुआई चल रही है जहां अगस्त के दूसरे पखवाड़े तक जमीन में पर्याप्त नमी नहीं थी। झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार के जो किसान धान की बुआई करते थे, अब उड़द, मूंग और चारों की बुआई करने लगे हैं। राज्य के कृषि विभाग और कृषि वैज्ञानिकों ने यह सलाह दी थी कि किसानों को धान के विकल्प के रूप में अब इन फसलों की बुआई करनी चाहिए। पश्चिम बंगाल के जूट उत्पादकों को पानी की कमी के संकट से जूझ रहे हैं। पश्चिम बंगाल के नादिया, उत्तरी 24 परगना और मुर्शिदाबाद में कम बारिश हुई है और वहां भूजल स्तर भी नीचे चला गया है। किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे भूजल का इस्तेमाल तार्किक ढंग से करें। 3 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक देश भर में 966.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुआई का काम हो चुका है। यह पिछले साल की समान अवधि में हुई बुआई के रकबे से 82.7 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। धान, मोटे अनाज और दलहन के रकबे में करीब 70 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। खड़ी फसलों के बारे में अब तक मिल रही सूचना के मुताबिक कीट आदि के किसी तरह का संकट नहीं है और फसल अच्छी है। कृषि के जानकारों का कहना है कि इस बार उत्पादन न सिर्फ पिछले साल के 1035 लाख टन अनाज उत्पादन का आंकड़ा पाल कर जाएगा बल्कि 2008-09 में हुए 1181 लाख टन अनाज उत्पादन का रिकॉर्ड भी टूट सकता है। व्यावसायिक फसलोंं की खेती- जैसे तिलहन, कपास और गन्ने के रकबे में भी ठीक-ठाक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि कपास का उत्पादन इस साल अब तक के सर्वोच्च स्तर 350 लाख गांठ तक (1 गांठ 170 किलो) पहुंच सकता है। इसे देखते हुए सरकार ने अक्टूबर से होने वाले कपास के निर्यात पर प्रतिबंध कम किया है। अक्टूबर से नया कपास वर्ष शुरू होगा। अगस्त के अंतिम सप्ताह में सामान्य से 16 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। इस तरह से 4 सितंबर तक बारिश की कमी घटकर सिर्फ 1 प्रतिशत रह गई है, जो जुलाई के अंत में 5 प्रतिशत और जून के अंत में 16 प्रतिशत थी। भारतीय मौसम विभाग द्वारा दिए जा रहे अनुमानों के मुताबिक सितंबर महीने में सामान्य से 15 प्रतिशत ज्यादा बारिश होने की संभावना है। पूर्वोत्तर के उन इलाकों में, जहां पर्याप्त बारिश नहीं हुई है, 10 सितंबर तक अच्छी बारिश होने का अनुमान है। इस साल के मॉनसून की प्रमुख विशेषता यह है कि परंपरागत रूप से पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में ज्यादा बारिश होती थी, लेकिन इस साल यहां पर 3 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक सामान्य से 21 प्रतिशत कम बारिश हुई है। वहीं पश्चिमी राजस्थान, लेह, लद्दाख, विदर्भ, मराठवाड़ा, सौराष्ट्र और कच्छ में सामान्य से 20 प्रतिशत तक ज्यादा बारिश हुई है। जुलाई के अंतिम सप्ताह से लगातार हो रही बारिश की वजह से जलाशय भर गए हैं, जो पिछले साल के सूखे के बाद से ही खाली पड़े थे। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 1 सितंबर तक देश के 81 बड़े जलाशयों में कुल 90.777 मिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी था। यह स्तर पिछले साल की तुलना में 34 प्रतिशत और दीर्घावधि के औसत 2 प्रतिशत ज्यादा है। (BS Hindi)
06 सितंबर 2010
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