नई दिल्ली : कमोडिटी एक्सचेंजों में फ्यूचर ट्रेडिंग यानी वायदा कारोबार बढ़ाने के लिए सरकार ने आ
खिरकार फॉरवर्ड मार्केट कमिशन (एफएमसी) को सेबी की तरह स्वायत्त निकाय बनाने का फैसला किया है। अब कमोडिटी एक्सचेंजों को किसी फैसले की बाबत सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि सरकार से सलाह-मशवरा करने के लिए रास्ते खुले रहेंगे, मगर जवाबदेह एमएफसी की रहेगी। इस संबंध में जल्दी ही अध्यादेश लाया जाएगा। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के इस कदम से कमोडिटी एक्सचेंजों में विदेशी निवेश के रास्ते खुल गए हैं। शेयर बाजारों की तरह बैंक व म्यूचुअल फंड भी यहां कारोबार फैलाना शुरू कर देंगे। इससे कमोडिटी एक्सचेंजों का कारोबार भी शेयर बाजार की तरह फैल जाएगा। इससे आम कारोबारी का विश्वास बढ़ेगा। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के प्रमुख जिग्नेश शाह का कहना है कि लंबे समय से इसकी मांग की जा रही थी। अभी तक अमेरिका ही कमोडिटी कारोबार का केंद बना हुआ है। एफडीआई और बड़ी कंपनियों के आने के बाद देश के कमोडिटी एक्सचेंजों का कारोबार बढ़ जाएगा। किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए बेहतर प्लैटफॉर्म मिलेगा। देश में वस्तुओं की किल्लत नहीं होगी। हालांकि स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक डॉ. अश्विनी महाजन कहते हैं, ऐसा तभी मुमकिन है जब एमएफसी पूरे अधिकार व नियंत्रण के साथ काम करे। विदेशी कंपनियों का ध्यान ज्यादा मुनाफा कमाने पर होता है। कमोडिटी एक्सचेंजों में वायदा कारोबार ज्यादा होता है। इससे कारोबारियों को वस्तुओं को बाजार में आने से रोकने का मौका मिलेगा। ऐसा होने पर डिमांड व सप्लाई के बीच खाई बढ़ेगी, तो मामला गड़बड़ा भी सकता है। कमोडिटी एक्सचेंज बोले तो जिस तरह से शेयर बाजार में शेयरों का कारोबार होता है, उसी तरह से कमोडिटी एक्सचेंजों में विभिन्न वस्तुओं का कारोबार होता है। कंपनियां, व्यापारी और किसान आकर यहां उत्पादों को बेच और खरीद सकते हैं। देश में तीन बडे़ कमोडिटी एक्सचेंज हैं, नैशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीएक्स), नैशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एनएमसीएक्स) और मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स)। ये तीनों कम्पनियों की तरह काम करते हैं। इनमें बैंकों, वित्तीय संस्थानों और कम्पनियों की हिस्सेदारी है। कैसा और कितना कारोबार कमोडिटी एक्सचेंजों में करीब 80 वस्तुओं का कारोबार होता है। इसमें सोने-चांदी, कॉपर, जिंक, सोयाबीन ऑयल, चना, ग्वार, चीनी, चना व आलू प्रमुख हैं। इसमें वायदा कारोबार होता है यानी भविष्य के सौदे वर्तमान दरों पर होते हैं। महंगाई बढ़ने के बाद सरकार ने कमोडिटी एक्सचेंजों में गेहूं, चावल व उड़द की दाल के वायदा कारोबार पर पाबंदी लगा दी थी। सरकार को शक था कि वायदा कारोबार की आड़ में कारोबारी माल को अपने गोदामों में दबाकर रख रहे हैं। (Navbharat Hindi)
16 सितंबर 2010
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