14 सितंबर 2010
छोटे व्यापारी भी ओएमएसएस के तहत नहीं खरीद रहे गेहूं
खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत ज्यादा से ज्यादा गेहूं बेचने की सरकार की तमाम कोशिशें बेकार साबित हो रही हैं। केंद्रीय पूल से गेहूं का उठाव बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने छोटे एवं मझोले व्यापारियों को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से तीन से नौ गेहूं बगैर निविदा के लेने की छूट दी थी। लेकिन खुले बाजार और सरकारी गेहूं के दाम में अंतर होने के कारण सरकार की ये पहल कारगर नहीं हो रही। अगस्त में स्कीम शुरू होने के बाद से 7 सितंबर तक ओएमएसएस के तहत छोटे व्यापारियों को कुल आवंटित 412,093 टन गेहूं में से मात्र 483 टन गेहूं व्यापारियों ने खरीदा है। एफसीआई के सूत्रों के अनुसार इसमें 342 टन पांडिचेरी के व्यापारियों ने, 60 टन केरल के व्यापारियों ने, 72 टन महाराष्ट्र के व्यापारियों ने और नौ टन गुजरात के व्यापारियों ने खरीदा है। रोलर फ्लोर मिलर्स फैडरेशन ऑफ इंडिया की सचिव वीणा शर्मा ने बताया कि हाजिर बाजार के मुकाबले एफसीआई का गेहूं महंगा है इसीलिए फ्लोर मिलर और चक्की वाले सरकारी गेहूं का उठाव नहीं कर रहे हैं। दिल्ली में सरकारी गेहूं का दाम 1252.15 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि खुले बाजार में गेहूं 1,230-1,232 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। सरकारी गेहूं उठाने पर मिलर को 30 से 40 रुपये प्रति क्विंटल का खर्च आता है। एफसीआई को पेमेंट भी पहले देनी पड़ती है। जबकि खुले बाजार में जो भाव चल रहा है वह मिल पहुंच है तथा पेमेंट में भी दस से पंद्रह दिन का समय मिल जाता है। केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का स्टॉक भंडारण क्षमता से ज्यादा है। इसीलिए सरकार ने स्टॉक को हल्का करने के लिए ओएमएसएस के माध्यम से छोटे व्यापारियों को बगैर निविदा के तीन से नौ टन गेहूं देने का फैसला किया था। मालूम हो कि बड़े उपभोक्ताओं को अब भी गेहूं निविदा के माध्यम से लेना पड़ता है। हालांकि उसमें भी उठाव न के बराबर है। पहली सितंबर को केंद्रीय पूल में 503.42 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक बचा था जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 6.4' ज्यादा है। पिछले साल एक सितंबर को 472.84 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक था। सरकारी भंडारों में खाद्यान्न का कुल स्टॉक तय मानकों बफर के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है। तय मानकों के हिसाब से पहली अक्टूबर को 52 लाख टन चावल और 110 लाख टन गेहूं को मिलाकर 162 लाख टन का स्टॉक होना चाहिए। इसके गेहूं और चावल के 50 लाख अतिरिक्त स्टॉक को भी मिला दें तो कुल बफर स्टॉक पहली अक्टूबर को 212 लाख टन ही होना चाहिए। (Business Bhaskar...aar as raana)
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