मुंबई September 19, 2010
बाजार में हिस्सेदारी और कारोबार की मात्रा के हिसाब से देश के दूसरे बड़े जिंस एक्सचेंज, नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) ने नए मुख्य निवेशक की तलाश की है। इसका उद्देश्य आने वाले महीनों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के दौर में कारोबारी क्षमता का विस्तार है। एक्सचेंज ने अपनी 26 प्रतिशत इक्विटी नई दिल्ली के शेयरधारक जेपी कैपिटल को आवंटित करने का फैसला किया है। सूत्रों ने कहा कि शेयर की कीमतों के बारे में कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन यह एक्सचेंज की इक्विटी के पिछले सौदे से काफी कम होगी।माना जा रहा है कि इन 26 प्रतिशत नए शेयरों में करीब 3 प्रतिशत शेयर श्री रेणुका शुगर्स को जाएंगे जिससे उसकी हिस्सेदारी करीब 15 प्रतिशत हो जाएगी। माना जा रहा है कि जेपी और श्री रेणुका दोनों की इसमें अहम भूमिका होगी। इस सिलसिले में पूछे जाने पर एनसीडीईएक्स के प्रवक्ता ने कुछ भी कहने से इनकार किया है।हाल ही में श्री रेणुका शुगर्स ने क्रिसिल से 145 रुपये प्रति शेयर की दर से 7 प्रतिशत इक्विटी हासिल की है। एनसीडीईएक्स का चुकता पूंजी आधार 37.5 करोड़ रुपये है और 13 करोड़ रुपये की नई पूंजी (10 रुपये मूल्य के 1.30 करोड़ शेयर) लगाने का फैसला किया है जिससे कि वायदा बाजार आयोग के नियमों के मुताबिक 50 करोड़ रुपये के पूंजी आधार की शर्त पूरी हो सके। ये नए शेयर जेपी कैपिटल को जारी किए जाएंगे, जिसने यूनाइटेड एक्सचेंज आफ इंडिया के नाम से करेंसी एक्सचेंज शुरू करने का फैसला किया है। यह एक्सचेंज सोमवार से काम शुरू कर देगा।नए शेयरों के भाव इस साल की शुरुआत में एक्सचेंज द्वारा जारी राइट इश्यू से कम होंगे। राइट इश्यू के भाव 110 रुपये प्रति शेयर थे। सस्ते शेयरों की एवज में नया निवेशक यह वादा करेगा कि एक्सचेंज के विकास में वह भूमिका निभाएगा। यह इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि एक तरफ इस कारोबार में नए कारोबारी प्रवेश कर रहे हैं, वहीं कैबिनेट के एफसीआर अधिनियम में संशोधन की स्वीकृति देने से कई नई संभावनाएं भी पैदा होंगी। डेरिवेटिव्स कारोबार में जेपी कैपिटल की बड़ी हिस्सेदारी है। बहरहाल, एफएमसी के नियमों के मुताबिक शेयरधारक को उस एक्सचेंज में कारोबार या हेजिंग की अनुमति नहीं है, जिस एक्सचेंज में उसकी हिस्सेदारी है। माना जा रहा है कि जेपी यह मानदंड पूरा करने के लिए अपनी सदस्यता छोड़ेगी। सूत्रों ने कहा कि सिर्फ जेपी ही एक्सचेंज में एंकर निवेशक की भूमिका नहीं निभाएगी, बल्कि इस श्रृंखला में श्री रेणुका भी है, जिसकी पहले से ही 12 प्रतिशत हिस्सेदारी है।एनसीडीईएक्स की शुरुआत आईसीआईसीआई बैंक की अगुआई में कुछ संस्थागत निवेशकों के एक समूह ने 2003 में की थी। बाद में आईसीआईसीआई एक्सचेंज से बाहर हो गया और उसके बाद एनएसई ने एक्सचेंज में प्रमुख भूमिका हासिल कर ली। एनएसई की एक्सचेंज में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है। बहरहाल एफएमसी ने नए नियमों में किसी स्टॉक एक्सचेंज की जिंस एक्सचेंज में हिस्सेदारी 5 प्रतिशत तक सीमित कर दी है। इसके चलते उम्मीद की जा रही है कि एनएसई अपनी हिस्सेदारी घटाएगा। बहरहाल इसके बारे में ज्यादा सूचना उपलब्ध नहीं है। (BS Hindi)
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