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01 सितंबर 2010

अभी और बढ़ेंगे अनाज के भाव!

मुंबई August 31, 2010
दुनियाभर के देशों में मौसम फसल उत्पादन के लिए प्रतिकूल होता जा रहा है जिससे चालू कैलेंडर वर्ष के बाकी महीनों में भी अनाज के भाव ऊंचाई पर बने रहने की आशंका है। राबोबैंक के ताजा अनुमानों में गेहूं के भाव में मौजूदा स्तर से 50 फीसदी बढ़ोतरी की आशंका जताई गई है। वहीं, चावल, चीनी और सोयाबीन के दाम भी थोड़े बढ़ सकते हैं।2009 में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक रहे रूस ने देश में भारी सूखे के चलते उत्पादन घटने के अनुमानों को देखते हुए 31 दिसंबर से सभी अनाज के निर्यात पर रोक लगा दी है। 2010-11 में यूक्रेन और कजाकिस्तान में भी अनाज निर्यात पर कोटा या विशेष क्षेत्रीय कारोबार के रूप में कुछ रोक लगाई जा सकती है।कनाडा और यूरोपीय संघ में गेहूं का उत्पादन कम रहने की वजह से अब गेहूं की वैश्विक मांग अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना के दक्षिणी भाग की पैदावार से पूरी की जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना के दक्षिणी गोलाद्र्घ में उत्पादन में किसी भी कमी से कीमतों में भारी उछाल देखी जाएगी।नतीजे के रूप में अमेरिकी कृषि विभाग ने 2010-11 के उत्पादन अनुमानों में जुलाई अनुमानों के मुकाबले 160 लाख टन की कटौती कर इसे 6457 लाख टन कर दिया है। राबोबैंक ने भी 2010-11 के लिए गेहूं का वैश्विक उत्पादन अनुमान और 5 फीसदी घटाकर 6390 लाख टन कर दिया है।अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा, 'भारतीय निर्यातकों को बढ़ते वैश्विक भावों से फायदा उठाना चाहिए। आने वाला साल भी देश के लिए अनुकूल रहने की उम्मीद है, ऐसे में देश अपने निर्यात द्वार खोल सकता है।'वैश्विक स्तर पर अनाज के दाम बढ़ रहे हैं। पर्याप्त स्थानीय आपूर्ति के बावजूद भारत में भी भाव कम से कम 10 फीसदी चढ़े हैं। हाल ही में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने कुल 600 लाख टन के अनाज भंडार की घोषणा की है जो अगले कटाई सत्र तक घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।अनाज प्रसंस्करण की एक बड़ी भारतीय कंपनी यूजर्स एग्रो के प्रबंध निदेशक वी के चतुर्वेदी ने कहा, 'अनाज के भाव दिसंबर तक कम से कम 10-15 फीसदी और बढ़ सकते हैं, लेकिन उम्मीद के मुताबिक अगर सरकार ने सितंबर की शुरुआत से निर्यात की अनुमति देती है, तो अनाज के भाव तेजी से बढ़ेंगे।'राबोबैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका और दुनिया के बाकी देशों के लिए बड़ी चिंता यह है कि मक्का बाजार में भी तेजी बरकरार रहेगी। हाल फिलहाल के महीनों में कीमतें तेज थीं, वाबजूद इसके और तेजी संभव है। आने वाले 6-8 हफ्तों में भाव पर सट्ïटेबाजी मुनाफे और मौसमी कटाई दबाव दिख सकता है।मक्के के दाम में 30 जून से 25 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है और यह 425 अमेरिकी सेंट प्रति बुशेल तक जा पहुंचा है जो 2010 का दूसरा सबसे ऊंचा स्तर है। 4 जनवरी के उच्चतम स्तर से यह मामूली अंतर से ही कम है। (BS Hindi)

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