नई दिल्ली September 02, 2010
चीनी को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की कवायद के तहत केंद्रीय खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार ने आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भेंट कर उन्हें प्रस्तावित कदम के बारे में जानकारी दी। माना जा रहा है कि अगर सरकार इस पर राजी होती है तो चीनी मिलों को चीनी बेचने की आजादी होगी।फिलहाल, सरकार का चीनी उद्योग पर नियंत्रण है और मिलों की ओर से हर महीने बेची जाने वाली चीनी की मात्रा का निर्धारण करती है। इस कदम का असर चीनी उत्पादक कंपनियों के शेयरों पर भी दिखा। बंबई स्टॉक एक्सचेंज में गुरुवार को देश की सबसे बड़ी चीनी उत्पादक कंपनी बजाज हिंदुस्तान के शेयर 4.25 फीसदी चढ़कर 121.35 रुपये पर बंद हुए। इसी तरह बलरामपुर चीनी के शेयर 2.98 फीसदी की तेजी के साथ 88 रुपये पर बंद हुए। रेणुका शुगर्स के शेयरों में 4.06 फीसदी की उछाल दर्ज की गई और यह 68 रुपये पर बंद हुआ।अक्टूबर से शुरू होने वाले अगले सत्र में भारी उत्पादन की आस में मंत्रालय चीनी क्षेत्र को नियंत्रण मुक्त करने की योजना बना रहा है। सूत्रों का कहना है कि पवार ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समक्ष चीनी उद्योग के उदारीकरण की योजना का एक खाका प्रस्तुत किया।इसके तहत मंत्रालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने से किस तरह ग्राहकों और किसानों को फायदा होगा। चीनी उद्योग के उदारीकरण के प्रस्तुतीकरण में मंत्रालय ने खुले बाजार और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की बिक्री के लिए मासिक कोटा को निर्धारित करने की प्रणाली को समाप्त करने का प्रस्ताव किया है।साथ ही सार्वजनिक वितरण के तहत आने वाली राशन की दुकानों के लिए चीनी की जरूरत को पूरा करने के लिए मंत्रालय ने खुले बाजार से चीनी को खरीदने की सलाह दी है। मौजूदा समय में चीनी मिलों को अपने उत्पादन का 20 फीसदी हिस्सा सरकार को सस्ते दामों पर बेचना होता है, ताकि इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से बेचा जा सके। मंत्रालय ने यह भी तर्क दिया कि किसानों को अपने उत्पाद बेचने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। मौजूदा समय में गन्ना उत्पादक केवल निर्धारित चीनी मिलों को ही गन्ना बेच सकते हैं।देश में चीनी उद्योग पर सरकार का नियंत्रण है। हालांकि 1971-72 और 1978-79 में भी इस क्षेत्र को नियंत्रण मुक्त करने की कोशिश की गई थी, लेकिन बाद में कदम वापस ले लिए गए। हालांकि सरकार ने स्टील और सीमेंट क्षेत्र को बहुत पहले ही नियंत्रण मुक्त कर चुकी है।इस साल जून में पेट्रोल की कीमतों को नियंत्रण मुक्त किया जा चुका है, वहीं डीज़ल की कीमतों को भी नियंत्रण मुक्त करने की योजना है। केंद्रीय खाद्य एवं कृषि मंत्रालय पिछले कुछ महीनों से चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने की कवायद में जुटी है।पिछले महीने पवार ने कहा था कि मंत्रालय चीनी क्षेत्र के विनियंत्रण के बारे में एक प्रस्ताव को तैयार कर रहा है। जिसे मंत्रिमंडल के समक्ष पेश करने से पहले विभिन्न मंत्रालयों के पास उनकी टिप्पणी के लिए भेजा जाएगा। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सरकार किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) तय करना जारी रखेगी। एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य होता है जिसे चीनी मिलों को गन्ने की खरीद के लिए भुगतान करना होता है।भारतीय चीनी मिल संघ के अध्यक्ष विवेक सरावगी ने कहा कि नियंत्रण की व्यवस्था ने चीनी उद्योग के नवीनता, निवेश और सुधार करने की क्षमता को सीमित कर दिया है। बलरामपुर चीनी मिल्स के प्रबंध निदेशक सरावगी ने कहा कि दीर्घावधि में भारतीय चीनी क्षेत्र को विकास की राह पर लाने के लिए विनियंत्रण जरूरी है। (BS Hindi)
03 सितंबर 2010
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