मुंबई September 02, 2010
वैश्विक अनाज उत्पादन पिछले 3 साल में पहली बार खपत की तुलना में कम रहने का अनुमान है। इसकी वजह है कि मॉनसून अनुकूल नहीं रहा और अल नीनो प्रभाव के चलते दुनिया का एक हिस्सा बाढ़ से पीडि़त रहा तो एक हिस्सा सूखाग्रस्त रहा। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक खाद्यान्न उत्पादन, इस सत्र में खपत की तुलना में 100 लाख टन कम रहेगा। इसकी एक बड़ी वजह खाने पीने के तौर तरीकों में बदलाव और बढ़ती जनसंख्या भी है। एफएओ ने अपने पुनरीक्षित आंकड़ों में कहा है कि चालू सत्र में खाद्यान्न का वैश्विक उत्पादन 22380 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि जून में एफएओ ने अनुमान लगाया था कि वैश्विक उत्पादन 22800 लाख टन रहेगा। वहीं खाद्यान्न की खपत के अनुमान में कमी की गई है और यह जून के 22680 लाख टन की तुलना में 22480 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया है। उत्पादन कम रहने के बावजूद अनाज का वैश्विक उत्पादन 2010 में पंचवर्षीय औसत के हिसाब से तीसरा बड़ा रिकॉर्ड होगा। इस तरह से बहुत ज्यादा चिंता की जरूरत नहीं है। इसकी वजह से अंतिम स्टॉक 8 साल के उच्च शुरुआती स्टॉक से ज्यादा रहेगा। यह 2007-08 के खतरनाक न्यूतनम स्तर से कम होगा, जब खाद्यान्न संकट की स्थिति थी।बहरहाल, यह कमी अग्रिम स्टॉक के माध्यम से पूरी हो जाएगी, जो 2010-11 में 5270 लाख टन रहेगा, हालांकि इसके पहले साल में अग्रिम स्टॉक 5400 लाख टन था। ब्राजील, रूस और पाकिस्तान में प्रतिकूल मौसम रहने की वजह से अनाज के उत्पादन में गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है। गेहूं को लेकर ज्यादा खतरा है, जिसकी वजह से अन्य अनाजों में भी तेजी रहने की उम्मीद है। 2010 के लिए जारी इस अनुमान में गेहूं का उत्पादन 6460 लाख टन रहने का अनुमान है, जो 2009 में हुए उत्पादन की तुलना में 5 प्रतिशत कम होगा। लेकिन अभी भी यह उत्पादन का तीसरा उच्चतम स्तर होगा।हाल में उत्पादन के अनुमान में क मी इसलिए की गई है, क्योकि रशियन फेडरेशन ने इस साल के लिए फसलों के उत्पादन का अनुमान 480 लाख टन से घटाकर 430 लाख टन कर दिया है। साथ ही गेहूं का 2011 के लिए अंतिम स्टॉक कम होकर 1810 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया है।शुरुआती उच्चतम स्तर 8 साल में सबसे ज्यादा था, जिसकी तुलना में यह 9 प्रतिशत कम है। मुंबई की एक एग्रो प्रॉसेसिंग कंपनी यूजर एग्रो के प्रबंध निदेशक वीके चतुर्वेदी ने कहा, 'पूरी दुनिया इस समय रूस और ब्राजील में होने वाले बदलाव पर नजर बनाए हुए है। पाकिस्तान में इस समय बुरा हाल है और वहां की खेती बाढ़ से तबाह हो गई है। ऐसी स्थिति में भारत को खाद्यान्न के निर्यात से निश्चित रूप से फायदा उठाना चाहिए।'साथ ही चावल उत्पादन के ताजा अनुमानों में भी बदलाव किया गया है। 2010 में चावल उत्पादन जून में लगाए गए अनुमान से 50 लाख टन घटकर 4670 लाख टन रहने का अनुमान है। लेकिन यह अभी भी 2009 में हुए कुल उत्पादन की तुलना में 3 प्रतिशत ज्यादा रहेगा। इसके उत्पादन में कमी का अनुमान पाकिस्तान की बाढ़ को देखते हुए लगाया गया है, लेकिन चीन, मिस्र, भारत, लाओस और फिलीपींस में भी उत्पादन कम हो सकता है। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें