मुंबई September 02, 2010
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) अपने ब्रोकर सदस्यों को 'को-लोकेशन' सुविधा की पेशकश करने की योजना बना रही है। इससे ब्रोकरों को एक्सचेंज के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के नजदीक सर्वर रखने की अनुमति मिल जाएगी जिससे वे ज्यादा तेजी से सौदे निपटा सकेंगे।इस मामले से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि भारत में यह पहला मौका है, जब एक अग्रणी कमोडिटी बाजार अपने सदस्यों को को-लोकेशन की सुविधा देने में रुचि ले रहा है। उल्लेखनीय है कि देश में कमोडिटी के 85 फीसदी वायदा बाजार पर एमसीएक्स का कब्जा है। यहां ज्यादातर सौदे धातु और ऊर्जा खंड में होते हैं। सूत्रों का कहना है कि यह एक्सचेंज शुरुआती तौर पर को-लोकेशन सुविधा मुहैया कराने जा रहा है। लेकिन इस बारे में पूछने पर एमसीएक्स के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हम बाजार के अफवाहों और अटकलों पर टिप्पणी नहीं कर सकते।'उधर वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के अध्यक्ष बीसी खटुआ ने कहा कि एमसीएक्स की इस तरह की योजना के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और इस मसले पर उसने कमोडिटी बाजार नियामक से अब तक कोई चर्चा नहीं की है।को-लोकेशन सुविधा के तहत एक ऐसे डाटा केंद्र की व्यवस्था की जाती है, जहां एक सर्वर से कतार में कई कंप्यूटर जुड़े होते हैं। इससे बड़े सौदे निपटाने में मदद मिलती है। वैश्विक स्तर पर शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज (सीएमई), लिफे एवं टोकियो कमोडिटी एक्सचेंज (तोकोम) जैसे कमोडिटी बाजारों में इस तरह की सुविधा मौजूद है।भारत में भी दो प्रमुख शेयर बाजार- नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) को-लोकेशन सुविधा मुहैया कराती हैं। इस सुविधा का प्रमुख उद्देश्य खास तौर पर 'डाइरेक्ट मार्केट एक्सेस (डीएमए)' जैसी इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग फैसिलिटी के तहत कारोबार प्रणाली के साथ जुड़ाव में होने वाली देरी को कम करना होता है। भारत में को-लोकेशन सुविधा के माध्यम से बड़े सौदे निपटाने का चलन धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है। एनएसई ऐसा पहला एक्सचेंज था, जिसने वर्ष 2009 में इस तरह की सुविधा मुहैया कराई थी, जबकि बीएसई ने इस वर्ष की शुरुआत में यह सुविधा देना शुरू किया। (BS Hindi)
03 सितंबर 2010
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