मुंबई September 03, 2010
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने सितंबर कोटे के तहत गैर लेवी चीनी बिक्री की समयसीमा नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय चीनी महासंघ एवं भारतीय चीनी उत्पादक संगठन को इस निर्णय की जानकारी दे दी गई है।मंत्रालय ने इस वर्ष 31 अगस्त को सितंबर के लिए चीनी के 19 लाख टन कोटे (2.28 लाख टन लेवी एवं 16.72 लाख टन गैर लेवी) की घोषणा की थी। चीनी उद्योग के सूत्रों ने भरोसा जताया है कि चीनी मिलें आगामी त्योहारों के चलते मांग बढऩे की वजह से निर्धारित समयसीमा के भीतर कोटे की तमाम चीनी बेच लेंगी। एक अधिकारी ने बताया, 'इसका मतलब है कि गैर लेवी कोटे के तहत जारी चीनी की बिक्री सितंबर महीने की समाप्ति से पहले हो जानी चाहिए। हालांकि इसकी अवधि बढ़ाने की मांग की गई थी, लेकिन त्योहारी सीजन के दौरान मांग बढऩे की उम्मीद है। लिहाजा इसकी समयसीमा बढ़ाने की जरूरत नहीं समझी गई।'इससे पहले मंत्रालय ने अगस्त कोटे के तहत जारी चीनी की बिक्री की समयसीमा सितंबर तक बढ़ा दी थी। ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि भाव घटने के चलते 31 अगस्त से पहले तय मात्रा में चीनी की बिक्री बाधित हुई थी। अगस्त के लिए 19.50 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया गया था। मौजूदा प्रावधानों के तहत यदि निर्धारित समयसीमा के भीतर गैर लेवी कोटे की चीनी नहीं बेची जाती तो बची हुई चीनी स्वत: लेवी खंड में चली जाती है, जिसकी बिक्री 13.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से करनी पड़ती है। इससे चीनी मिलों को नुकसान उठाना पड़ता है। भारत सरकार फिलहाल चीनी उद्योग पर नियंत्रण रखती है, जिसमें दोहरे भाव की व्यवस्था है। चीनी मिलों को प्रत्येक चीनी वर्ष के दौरान उपने कुल उत्पादन का एक निश्चित हिस्सा लेवी खंड में रखना होता है, जिसका भाव सरकार तय करती है। लेवी चीनी को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत जरूरतमंद उपभोक्ताओं को रियायती दर पर उपलब्ध कराई जाती है। गैर लेवी चीनी की बिक्री खुले बाजार भाव पर की जाती है, लेकिन इसके लिए हर महीने कोटा जारी किया जाता है। (BS Hindi)
04 सितंबर 2010
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