16 अगस्त 2010
निर्यात मांग घटने से जीरे में गिरावट का रुख
निर्यातकों की कमजोर मांग से जीरे की कीमतों में गिरावट का रुख बना हुआ है। पिछले 15 दिनों में हाजिर में जीरे के दाम करीब 3.7 और वायदा में 6.3 फीसदी घट चुके हैं। वैसे उत्पादक मंडियों में जीरे का बकाया स्टॉक कम है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के मुकाबले टर्की और सीरिया का जीरा सस्ता है। साथ ही रमजान के कारण खाड़ी देशों की आयात मांग कम हो गई है। ऐसे में जीरे में सितंबर के बाद मौजूदा कीमतों से तेजी आने के आसार हैं। वायदा बाजार में दाम घटे नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) पर अगस्त महीने के वायदा अनुबंध में पिछले 15 दिनों में जीरे की कीमतों में करीब 6.3 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। 28 जुलाई को अगस्त महीने के वायदा अनुबंध में जीरे का भाव बढ़कर 15,199 रुपये प्रति क्विंटल हो गया था। ये शुक्रवार को घटकर 14,233 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। अगस्त महीने के वायदा अनुबंध में 4,404 लॉट के खड़े सौदे हुए हैं। कमोडिटी विशेषज्ञ अभय लाखवान ने बताया कि वायदा में दाम काफी बढ़ गए थे, लेकिन इस अनुपात में निर्यात मांग नहीं निकल पाई। इस वजह से निवेशकों की मुनाफावसूली शुरू हो गई। इसी से गिरावट को बल मिला है। निर्यातकों की मांग घटी मुंबई स्थित मैसर्स जैब्स प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर एस शाह ने बताया कि सीरिया और टर्की में जीरे की नई फसल आने से भारत से निर्यात मांग कम हो गई है। वैसे भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के मुकाबले सीरिया और टर्की का भाव 200 डॉलर प्रति टन कम है। इसीलिए भारत के मुकाबले इन देशों से आयात ज्यादा हो रहा है। रमजान के महीने में खाड़ी देशों की आयात मांग कम हो जाती है। भारतीय जीरे का भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2,750 डॉलर प्रति टन (एफओबी) है, जबकि टर्की और सीरिया के जीरे का भाव 2,550 डॉलर प्रति टन है। चालू सीजन में टर्की में जीरे का उत्पादन 15 से 20 हजार टन रहने के आसार हैं। इसी तरह एक अन्य उत्पादक देश सीरिया में उत्पादन करीब 30-35 हजार टन रह सकता है। पहली तिमाही में निर्यात 20 घटा भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान जीरा निर्यात में 20 फीसदी की कमी आई है। इस दौरान 10,750 टन जीरे का ही निर्यात हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 13,395 टन जीरे का निर्यात हुआ था। हाजिर बाजार में स्टॉक कम हनुमान प्रसाद पीयूष कुमार के प्रोपराइटर वीरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि प्रमुख उत्पादक मंडी ऊंझा में जीरे का 7-8 लाख बोरी (एक बोरी-55 किलो) का ही स्टॉक बचा हुआ है। इसके अलावा गुजरात की अन्य मंडियों में दो लाख बोरी और राजस्थान की मंडियों में भी दो लाख बोरी का स्टॉक बचा हुआ है। ऐसे में कुल स्टॉक करीब 11-12 लाख बोरी का ही है, जो पिछले साल की समान अवधि के 17 लाख बोरी से कम है। हालांकि चालू सीजन में नई फसल की आवक के समय पांच लाख बोरी का बकाया स्टॉक था। इस समय ऊंझा मंडी में दैनिक आवक 4 से 5 हजार बोरी की हो रही है, जबकि दैनिक सौदे छह से सात हजार बोरियों के हो रहे हैं। मंडी में जीरे का भाव घटकर 2600 रुपये प्रति 20 किलो रह गया है। जुलाई के आखिरी सप्ताह में भाव बढ़कर 2700 रुपये प्रति 20 किलो रह गए थे। पैदावार पिछले साल से कम जीरा कारोबारी रजनीकांत बी पोपट ने बताया कि चालू सीजन में देश में जीरे की पैदावार पिछले साल की 30 लाख बोरी से घटकर 28 लाख बोरी ही रहने का अनुमान है। वर्तमान में निर्यात मांग कमजोर बनी हुई है, लेकिन रमजान के बाद खाड़ी देशों की आयात मांग बढ़ सकती है। इसके बाद मौजूदा कीमतों में तेजी दिख सकती है। (Business Bhaskar....aar as raana)
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