August 22, 2010
मानसूनी बारिश में सुधार से देश में अच्छे खरीफ उत्पादन की उम्मीद की जा रही है। हालांकि पूर्वी इलाकों में बारिश की कमी अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। देश के 90 फीसदी खरीफ रकबे में 19 अगस्त तक बुआई की जा चुकी है और इस समय फसल की स्थिति अच्छी बनी हुई है। अधिकांश जलाशयों में पानी के भंडार में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और अब इनमें सामान्य से मात्र 3 फीसदी पानी की कमी है। देश के पूर्वी हिस्सों में मॉनसून की स्थिति खराब है, बिहार और झारखंड के सभी जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है। वहीं पश्चिम बंगाल के 18 में से 11 जिलों को इस श्रेणी में रखा गया है। बंगाल में 10 लाख हेक्टेयर से अधिक के परंपरागत धान के रकबे में अभी तक धान की बुआई नहीं की जा सकी है। इसका असर धान उत्पादन पर दिखाई दे सकता है, इस बार धान के उत्पादन में 25 लाख टन की कमी आने का अनुमान है। राज्य में धान की अच्छी पैदा देने वाले जिले, वद्र्धमान, वीरभूम, नादिया और हुगली सूखाग्रस्त घोषित किए जा चुके हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश और असम-मेघालय में भी बारिश की स्थिति चिंताजनक है। तीनों राज्यों में इस बार सामान्य से क्रमश: 37 फीसदी और 27 फीसदी कम बारिश हुई। इन राज्यों में अभी तक सूखे की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। इन स्थानों पर छिट-पुट वर्षा होती रही है, इसलिए फसल की बुआई प्रभावित नहीं हुई है। एक सप्ताह पहले तक पूरे मध्यप्रदेश को कम वर्षा वाली श्रेणी में रखा गया था। सूखा प्रभावित राज्यों की सरकारें आपात योजनाओं पर अमल करने की तैयारी कर रही है। पश्चिम बंगाल सरकार कम अवधि और कम पानी में पैदावार देनेवाले बीज किसानों को वितरित करने की योजना बना रही है।जहां अभी तक धान की बुआई नहीं की गई है ऐसे इलाकों में मक्का, मूंग (हरी दाल), मसूर और सर्यमुखी के बीज किसानों को उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। अन्य सरकारें भी सूखे से निपटने के लिए यही रणनीति अपना रही हैं।भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) का अनुमान है कि अगले महीने में पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम असम और मेघालय में बारिश हो सकती है। मौसम विभाग का ये अनुमान इस इलाके के किसानों के लिए एकमात्र उम्मीद है इससे किसान मोटा अनाज, दालें और पशुओं के लिए चारा उगा सकेंगे। जिसके चलते उन्हें हुए नुकसान की कुछ हद तकभरपाई हो सकेगी।कृषि भवन से प्राप्त जानकारी के अनुसार 19 अगस्त तक देश में 9.23 करोड़ हेक्टेयर जमीन पर बुआई की जा चुकी है। यह पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी अधिक है। खरीफ की प्रमुख फसल धान की पेराई के रकबे में भी इस बार बढ़ोतरी हुई है और इसकी बुआई का लगभग 20 लाख हेक्टेयर रकबा अतिरिक्त बढ़ा है। अच्छी बारिश की संभावना को देखते हुए पिछले साल के 7.6 करोड़ टन के मुकाबले इस बार धान के उत्पादन में 40 से 50 लाख टन की बढ़ोतरी होने की संभावना है।इस बार मोटे अनाज और दालों की बुआई भी अधिक हुई है इससे बेहतर उत्पादन मिलने का अनुमान है। पिछले साल के मुकाबले इस बार इनकी बुआई में 20 लाख हेक्टेयर की वृद्घि हुई है। बाजरा और मक्का के बुआई रकबे में बढ़ोतरी हुई है लेकिन इनके मुकाबले ज्वार का रकबा घटा है। दालों के बुआई रकबा भी 20 लाख हेक्टेयर बढ़ा है। तुअर और सबसे अधिक खपत वाली दालें, जैसे मूंग और उड़द की बुआई में भी इस बार इजाफा हुआ है। कपास की बुआई अब पूरी हो चुकी है। कपास के बुआई रकबे में भी बढ़ोतरी हुई है और कपास निर्यात और घरेलू मोर्चे पर बढ़ी मांग के कारण इसके अच्छे दाम मिलने की उम्मीद है। एक और नकदी फसल, गन्ना की बुआई के रकबे में 60 लाख हेक्टेयर का इजाफा हुआ है। शक्कर की कीमतें सरकारी नियंत्रण से मुक्त होने की संभावना के चलते किसानों ने बेहतर मुनाफे की उम्मीद में गन्ना लगाया है।केंद्रीय जल आयोग के अनुसार देश के 81 प्रमुख जलाशयों में 19 अगस्त तक 75 अरब घन मीटर पानी का संग्रह हो चुका है। यह पिछले साल के मुकाबले 27 फीसदी अधिक है लेकिन सामान्य स्तर से अभी भी 3 फीसदी कम है। करीब आधे जलाशयों में सामान्य से 80 फीसदी अधिक जल संग्रहित हो चुका है। भाखड़ा बांध जैसे बांधों से अतिरिक्त पानी को छोडऩे के लिए गेट खोले जा चुके हैं। (BS Hindi)
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