मुंबई August 20, 2010
हाइब्रिड बीज और तकनीक प्रदाता प्रमुख कंपनी मॉनसेंटो इंडिया (एमआईएल) आने वाले साल में अधिक उत्पादकता वाले मक्के के बीज की दो किस्में पेश करने की तैयारी में है। प्रीमियम किस्म के डेकाल्ब 9108 और डेकाल्ब 9106 किसानों को बसंत ऋतु के बाद और खरीफ की बुआई के सत्र में क्रमश: उत्तर प्रदेश और पंजाब में उपलब्ध हो जाएंगे।इस समय डेकाल्ब की 14 किस्में है। पैदावार के हिसाब से यह बेहतर हाइब्रिड किस्में हैं, जो विभिन्न कृषि परिवेशों के लिए बनाई गई हैं। यह विभिन्न प्रकार की मिट्टियों, पानी की उपलब्धता और नमी आदि के हिसाब से तैयार की गई हैं। डेकाल्ब 9106 किस्म उत्तर प्रदेश की मिट्टी में बसंत ऋतु के तापमान में उच्च उत्पादकता देने के हिसाब से बनाई गई है, वहीं डेकाल्ब 9106 किस्म पंजाब के उच्च तापमान को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।मॉनसेंटो इंडिया के प्रबंध निदेशक अमिताभ जयपुरिया ने कहा कि किसान इन बीजों का प्रयोग कर उत्पादकता में बढ़ोतरी कर सकेंगे। एमआईएल की कोशिश है कि भारत के कृषि क्षेत्र को उच्च गुणवत्ता और अधिक उत्पादन वाले बीज मुहैया कराए जाएं। साथ ही कंपनी की कोशिश किसानों को शिक्षित करना भी है, जिससे वे ज्यादा उत्पादन का फायदा उठा सकें।ब्रीडिंग रिसर्च का प्रमुख ध्यान उत्पादकता बढ़ाने, सूखे और गर्मी के प्रति अवरोधी बीज, बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी बीज और अत्याधुनिक मॉलिक्युलर तकनीक का प्रयोग कर बीजों को प्रभावी बनाना है। कंपनी मक्के की नर्सरी पर देश के विभिन्न इलाकों में शोध का काम कर रही है। साथ ही सीधे संपर्क के माध्यम से कंपनी कृषि कार्य में जागरूकता और शिक्षण कार्यक्रम भी चला रही है।वर्तमान में भारत में मक्के के परंपरागत बीजों से उत्पादन प्रति एकड़ 500 किलो है। हाइब्रिड बीजों के प्रयोग से उत्पादन बढ़कर 1 टन प्रति एकड़ हो गया है, जबकि वैश्विक औसत 2 टन प्रति एकड़ का है।बिहार के किसान मक्के की खेती में हाइब्रिड बीज का प्रयोग कर रहे हैं और वे 4 टन प्रति एकड़ मक्के का उत्पादन कर रहे हैं, जितनी उत्पादकता अमेरिका में है।पिछले 4-5 साल में मक्के का उत्पादन 120-130 लाख टन से बढ़कर 180-190 लाख टन हो गया है। ऐसा उच्च उत्पादकता वाले हाइब्रिड बीजों के प्रयोग की वजह से हुआ है। (BS Hindi)
21 अगस्त 2010
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