मुंबई August 23, 2010
भारतीय रत्न एवं आभूषण उद्योग चीन को अपना प्रतिस्पर्धी न मानकर एक बड़े बाजार के रूप में देख रहा है। देसी चीनी रत्न एवं आभूषण कारोबारियों की पहल का चीन के उद्यमियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया है। 19 से 23 अगस्त तक मुंबई के एनएसई मैदान पर आयोजित एशिया के दूसरा सबसे बड़े ज्वैलरी शो 'इंडिया इंटरनैशनल ज्वैलरी शो' में 75 चीनी कंपनियां शामिल हुईं। जबकि इसके पहले तक ऐसे आयोजन में चीनी कारोबारियों की संख्या नगण्य थी। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद् के चेयरमैन वसंत मेहता के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार और सरकार की ओर से मिली मदद से निर्यात पिछले साल के 24894 करोड़ डॉलर से बढ़कर 28415 करोड़ डॉलर पहुंच गया। 2009-10 के दौरान तराशे एवं पॉलिश किए हुए हीरों का निर्यात 17542 करोड़ डॉलर का हुआ जबकि इसके पिछले साल हीरों का निर्यात 14804 करोड़ डॉलर का था। चालू वित्त वर्ष में निर्यात में 10 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान है। मेहता के अनुसार रत्न एवं आभूषण उद्योग को नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए जरूरी है कि नए बाजारों की तलाश की जाए। इसीलिए हम चीन को अपने प्रतिस्पर्धी न देखकर नए बाजार के रूप में देख रहे हैं।लक्ष्मी डायमंड के प्रबंध निदेशक अशोक एच गजेरा कहते हैं, 'दुनिया ने हमारे काम का लोहा माना है। अब बारी है चीनी बाजार में अपनी बादशाहत दिखाने की।' नाइन डायमंड के चेयरमैन संजय शाह का कहना है कि प्रदर्शनी में भारी भीड़ को देखते हुए लग रहा है कि अब हीरा उद्योग पटरी पर आ गया है।उन्होंने बताया कि मांग बढऩे और नया बाजार मिलने से बंद पड़े कारखानों में फिर से कारीगरों को काम मिलने की उम्मीद है। जीजेईपीसी के अनुसार 5 दिनों तक चलने वाले इस प्रदर्शनी में 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के कारोबार की उम्मीद है। जीजेईपीसी के उपध्यक्ष राजीव जैन ने बताया कि प्रदर्शनी में 776 कंपनियां भाग ले रही हैं, जिनमें 653 भारतीय कंपनियां और 123 विदेशी कंपनियां हैं। (BS Hindi)
24 अगस्त 2010
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