कोच्चि August 18, 2010
इलायची की कटाई का नया सत्र शुरू हो गया है। मगर, पिछले दो कारोबारी दिनों से नीलामी सौदों में इलायची के भाव अचानक गिरने से थोड़ी निराशा का माहौल है। 10 अगस्त को इलायची का औसत भाव 1,560 रुपये किलो था। भाव 15 फीसदी तक गिरकर बुधवार को 1,325 रुपये रह गया। मंगलवार को इलायची के भाव 1,260 रुपये किलो तक गिरे थे।ऐसे में नए सत्र की शुरुआत को लेकर इडुक्की जिले के किसानों का उत्साह बाजार में गिरावट से खत्म हो गया है। पिछले 2-3 महीनों में इलायची के औसत भाव 16,000 रुपये किलो तक ऊंचाई तक पहुंचे थे जिससे किसान उत्साहित थे। भाव के 2,000 रुपये किलो से भी ऊपर जाने के कयास लगाए जा रहे थे। जुलाई में सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली इलायची के भाव 1,770 रुपये किलो तक चढ़े थे, लेकिन कीमतों में हालिया गिरावट से किसानों के बीच उदासी का माहौल है। कहा जा रहा था कि केरल के इडुक्की में विभिन्न नीलामी केंद्रों पर इलायची की अच्छी आपूर्ति हो रही है क्योंकि इस साल उत्पादन भी बढऩे की संभावना है। फिलहाल दैनिक आपूर्ति औसत 45,000-48,000 किलो है, जबकि पिछले महीने दैनिक आपूर्ति औसत 10,000 किलो था। इस साल उत्पादन बढऩे की खबरें आ रही हैं। इलायची उत्पादक संघ (सीजीए) के अध्यक्ष के एम माइकल के मुताबिक उत्पादन में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी। उन्होंने 10,000 टन इलायची उत्पादन का अनुमान लगाया है। इस साल इलायची के रकबे में 7,000 हेक्टेयर का इजाफा हुआ है और कुल रकबा 40,000 हेक्टेयर हो गया है। उत्पादक क्षेत्रों में अभी तक मॉनसून और सामान्य तापमान अच्छी पैदावार के अनुकूल रहे हैं। इसकी वजह से कीमतों में गिरावट का रुख है क्योंकि ओनम के बाद केरल में उत्पादन काफी तेज हो जाता है। किसानों का कहना है कि इस साल कुछ इलाकों में इलायची का कम वजन किसानों के लिए चिंता की वजह है। पहले 3 किलो हरी इलायची से 1 किलो सूखी इलायची प्राप्त होती थी, लेकिन अब यह अनुपात 1:6.5 हो गया है। इससे ताजा इलायची की खपत बढ़ गई है। आम तौर पर एक इलायची में 20-30 बीज होते हैं, लेकिन अब कुछ इलाकों की फसल में बीज घटकर 15-18 तक रह गए हैं जिससे इलायची का वजन कम हो रहा है और किसानों को नुकसान हो रहा है। किसानों को इस समस्या की बहुत ज्यादा समझ नहीं है और वे मसाला बोर्ड से इसकी वैज्ञानिक जांच कराने को कह रहे हैं।माइकल कहना है इस समस्या को देखते हुए अंतिम पैदावार पिछले सत्र के समान ही रहने की संभावना है, हालांकि शुरुआत में आपूर्ति तेज हैं। उन्होंने कहा कि इलायची की फसल तापमान को लेकर संवेदनशील होती है। अब तक मौसम मेहरबान रहा है, लेकिन मॉनसून में कोई भी बदलाव फसल पर असर डालेगा।कुल पैदावार में महज 5-7 फीसदी बढ़त हो सकती है। दो कारोबारी सत्रों में भाव में कमी के चलते सत्र की शुरुआत से किसान निराश हैं। ऐसे में सत्र बढऩे के साथ किसान फसल तेजी से बेचेंगे क्योंकि आगे कीमतें और नीचे जाएंगी। (BS Hindi)
20 अगस्त 2010
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