09 अगस्त 2010
रूसी गेहूं निर्यात पर रोक से भारत बेअसर
वजह अधिक स्टॉक के कारण पीडीएस में गेहूं का आवंटन बढ़ा दिया गया है। इसलिए रूस द्वारा निर्यात पर रोक लगाने का असर घरेलू कीमतों पर नहीं पड़ेगा। भारत से गेहूं के निर्यात पर रोक है। आयात भी एक-दो लाख टन का ही होगा।रूस द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तो दाम बढ़ेंगे, लेकिन भारत में गेहूं का बंपर स्टॉक होने से यहां मौजूदा कीमतों पर असर नहीं पड़ेगा। वैसे भी सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। केंद्रीय पूल में इस समय 335.84 लाख टन गेहूं का भारी-भरकम स्टॉक मौजूद है जो तय मानकों के मुताबिक एक जुलाई के 171 लाख टन से लगभग दोगुना है। सरकार गेहूं के स्टॉक को हल्का करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली और खुला बाजार बिक्री योजना के तहत आवंटन भी ज्यादा मात्रा में कर रही है।रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की सचिव वीणा शर्मा ने बताया कि दिल्ली बाजार में गेहूं का भाव हाजिर बाजार में 1230-1235 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है, जबकि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की बिकवाली 1,252 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कर रहा है। सरकार अगले छह महीने में ओएमएसएस के तहत करीब 50 लाख टन गेहूं का और आवंटन करेगी। वहीं, पहले के आवंटित 21 लाख टन में से भी करीब आठ लाख टन का उठाव नहीं हो पाया है। उधर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में भी गेहूं का आवंटन बढ़ा दिया गया है। इसलिए रूस द्वारा निर्यात पर रोक लगाने का असर गेहूं की घरेलू कीमतों पर नहीं पड़ेगा। वैसे भी हमने गेहूं के निर्यात पर तो रोक लगा रखी है। साथ ही आयात मात्र एक-दो लाख टन का होगा। गेहूं विशेषज्ञ नवीन गुप्ता ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतें जरूर बढ़ेंगी। रूस के साथ ही यूरोप, कनाडा और आस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख उत्पादक देशों में गेहूं का उत्पादन प्रभावित होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढऩी शुरू हो गई हैं। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबॉट) में गेहूं की कीमतें पिछले सवा दो महीने में 60 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुकी हैं। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) के अनुसार वर्ष 2010-11 में रूस में गेहूं का उत्पादन 530 लाख टन होने का अनुमान है जो पिछले साल के 617 लाख टन से कम है। वर्ष 2010-11 में आस्ट्रेलिया में गेहूं का उत्पादन 220 लाख टन, यूरोप में 1,418 लाख टन और भारत में 807 लाख टन होने का अनुमान है। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)
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