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04 अगस्त 2010

महंगाई की कड़ाही में खौला तेल

नई दिल्ली August 03, 2010
महंगाई के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार के खिलाफ सड़क से संसद तक मोर्चा खोल दिया है और ऐसे में खाद्य तेल की कीमत बढऩे से सरकार की मुश्किल में और इजाफा हो सकता है। सब्जी, दाल और दूसरी जरूरी वस्तुओं के दाम चढऩे के बाद खाद्य तेल की कीमत में बढ़ोतरी त्योहारी दिनों में गृहिणियों का बजट बिगाड़ सकती है। कारोबारियों के अनुसार महीने भर में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी और घरेलू बाजार में बढ़ती मांग के कारण खाद्य तेल के दाम 10 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। इसके दाम में आगे भी इजाफा होने की आशंका है। त्योहार में बढ़ी मांगदिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव हेमंत गुप्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि त्योहारी सीजन शुरू होने से खाद्य तेल की मांग बढ़ी है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम बढऩे का असर घरेलू बाजार पर भी पड़ रहा है। गुप्ता ने बताया कि पिछले एक महीने के दौरान इंदौर में रिफाइंड सोया तेल के दाम 40 रुपये बढ़कर 490 रुपये, दादरी में सरसों तेल के दाम 45 रुपये बढ़कर 530 रुपये प्रति 10 लीटर हो गया है। इस दौरान रिफाइंड नारियल तेल के दाम 800 रुपये से बढ़कर 900 रुपये, तिल के दाम 650 रुपये से बढ़कर 730 रुपये प्रति 10 लीटर हो चुके हैं।विदेश में तैश सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड के चेयरमैन सत्यनारायण अग्रवाल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी के कारण घरेलू बाजार में खाद्य तेल के दाम बढ़ रहे हैं।उन्होंने बताया कि पिछले एक महीने के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड पाम ऑयल के दाम 760 डॉलर से बढ़कर 850 डॉलर और आरबीडी पामोलीन के दाम 810 डॉलर से बढ़कर 900 डॉलर प्रति टन हो गए हैं।फीके पड़ेंगे त्योहारखाद्य तेल के दाम में 10 फीसदी इजाफे पर गुप्ता ने कहा कि पिछले कुछ महीनों के दौरान खाद्य तेलों के दाम काफी निचले स्तर तक चले गए थे। इसके बाद कीमतें बढऩा तो लाजिमी था। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में त्योहरों के कारण मांग अधिक रहेगी और ऐसे में इसके दाम में तेजी आने की संभावना है। अग्रवाल ने कहा कि तिलहन की फसल अच्छी रहने की उम्मीद है, लेकिन तेल के दाम काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर रहेंगे। इसी बीच सॉल्वेट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक 2009-10 के दौरान जून तक खाद्य तेल का आयात उससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 4 फीसदी घटकर 55।81 लाख टन ही रह गया था। (बीएस हिंदी)

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