कोच्चि August 20, 2010
प्राकृतिक रबर पर आयात शुल्क कम किए जाने की उम्मीदों से रबर की कीमतें भारत के मुख्य बाजारों में 3.3 फीसदी गिरकर दो महीनों के निचले स्तर पर आ गई हैं। फिलहाल भारत में प्राकृतिक रबर के आयात पर 20 फीसदी का आयात शुल्क लगता है। रबर बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक रबर की प्रमुख किस्म आरएसएस-4 की हाजिर कीमतें शुक्रवार को केरल के कोट्ïटायम में 600 रुपये गिरकर 17,400 रुपये प्रति 100 किलो पर आ गईं। इस महीने की शुरुआत में इसकी कीमतें 18,600 रुपये की ऊंचाई तक चढ़ी थीं।प्राकृतिक रबर पर आयात शुल्क कम किए जाने के वाणिज्य मंत्रालय के फैसले से स्थानीय बाजारों में कीमतों में अचानक गिरावट देखने को मिली है। बेंचमार्क ग्रेड आरएसएस-4 की कीमत बुधवार को 184 रुपये प्रति किलो से 180 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई।घरेलू बाजारों में रबर की किल्लत और बढ़ती कीमतों को देखते हुए मंत्रालय ने प्राकृतिक रबर पर आयात शुल्क मौजूदा 20 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी करने का प्रस्ताव सरकार के पास रखा है। रबर पर आधारित उद्योगों खास तौर से टायर निर्माताओं के भारी दबाव में मंत्रालय ने यह प्रस्ताव पेश किया है।शुक्रवार को कीमतों में गिरावट के बाद भी ये अंतरराष्ट्रीय बाजारों से 25 रुपये प्रति किलो ज्यादा हैं। बैंकॉक बाजार में शुक्रवार को कीमतें 155 रुपये किलो रही थीं।वाणिज्य मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित कमी वित्त मंत्रालय और मंत्रिमंडल की सहमति के बाद ही लागू होगी।बावजूद इसके रबर उत्पादक प्रदेशों का माहौल अशात हो गया है और उत्पादक वित्त मंत्रालय के अंतिम फैसले पर नजर गड़ाए हैं। केरल के सभी सांसद इस फैसले के विरुद्घ प्रदर्शन कर रहे हैं और फैसले को टालने की कोशिशें की जा रही हैं।रबर आधारित उद्योग लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं क्योंकि पिछले 5-6 महीनों में कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। रबर बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2,00,000 टन से ज्यादा का भंडार है, लेकिन स्थानीय बाजार गंभीर संकट से जूझ रहे हैं।जून के बाद से स्थानीय कीमतें वैश्विक कीमतों से ज्यादा रही हैं और आयात किल्लत का तात्कालिक समाधान हो सकता है, लेकिन भारी आयात शुल्क की वजह से यह संभव नहीं हो पा रहा है। रबर बोर्ड के आंकड़ों को नकारते हुए ऑटोमोटिव टायर निर्माता संघ (एटीएमए) ने कहा कि भंडार 1,00,000 टन से ज्यादा का नहीं है।दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी देश में रबर की आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे जिससे भी आयात का रास्ता साफ करने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ा है। रबर आधारित कंपनियों के विभिन्न संगठनों जिनमें एटीएमए भी शामिल है, ने मांग की है कि प्राकृतिक रबर पर शुल्क 7.5 फीसदी किया जाए जबकि रबर के तैयार उत्पादों जैसे आयर पर 10 फीसदी का आयात शुल्क लगता है।इस बीच केरल के 11 लाख रबर उत्पादक इस खबर से चिंता में हैं क्योंकि आयात शुल्क घटने से कीमतें नीचे आएंगी। देश के कुल रबर उत्पादन का 92 फीसदी केरल से हासिल होता है।लिहाजा वहां के राजनेताओं का केंद्र सरकार पर शुल्क न घटाने का दबाव भी बन रहा है, लेकिन इस बार निश्चित रूप से शुल्क में गिरावट देखने को मिल सकती है। एर्नाकुलम के किसान जॉर्ज जॉन का कहना है कि वाणिज्य मंत्रालय का यह फैसला सही नहीं है क्योंकि किसानों को पिछले 3-4 महीने से ही अच्छी कीमत मिल रही है। 2009 में औसत कीमत महज 97 रुपये किलो थी। (BS Hindi)
21 अगस्त 2010
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