मुंबई August 11, 2010
दलहन फसलों की बुआई रकबे को देखते हुए इस साल देश में रिकॉर्ड दलहन उत्पादन होने की उम्मीद की जा रही है। कृषि मंत्रालय को उम्मीद है कि इस बार दालों का 165 लाख टन उत्पादन होगा। उत्पादन ज्यादा होने से देश में दालों का संकट कम होगा और कीमतें भी प्रभावित होगी।केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव पीके बसु का कहना है कि देश में इस बार समय से मॉनसून आने और अच्छी बारिश की वजह से दलहन फसलों का रकबा बढ़ा है। उनके अनुसार अभी तक प्राप्त खबरों के मुताबिक दलहन फसलों का रकबा करीब 16 फीसदी बढ़ा है जिससे उत्पादन भी ज्यादा होने वाला है।बसु के अनुसार देश में औसतन दलहन फसलों का उत्पादन 150 लाख टन होता है जबकि अभी तक की बुआई को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस बार दलहन फसलों का उत्पादन 165 लाख टन से अधिक रहने वाला है।कृषि मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बार किसानों ने दलहन फसलों को काफी प्राथमिकता दी है। अभी तक प्राप्त बुआई के आंकड़ों के अनुसार इस बार दलहन का रकबा 15.80 फीसदी बढ़ा गया है। पिछले साल 75.44 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुआई की गई थी जबकि इस बार 87.36 लाख हेक्टेयर पर दलहन की फसल खड़ी बताई जा रही है। अरहर का रकबा पिछले साल की समान अवधि के 27.25 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 33.60 लाख हेक्टेयर हो गया है, उड़द का रकबा 15.65 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 16.66 लाख हेक्टेयर और मूंग का रकबा 19.71 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 22.23 लाख हेक्टेयर हो गया है।देश के कई हिस्सों में मध्य जुलाई तक सामान्य से कम बारिश हुई थी जो दलहन फसलों के लिए अच्छी मानी जाती है। दलहन की फसल बुआई के लिए ज्यादा बारिश की नहीं बल्कि हल्की बरसात की जरूरत होती है। कृषि मंत्रालय के ताजा अनुमान पर कमोडिटी बाजार के जानकारों का कहना है कि यह अनुमान सही साबित हो सकता है क्योंकि कुछ हिस्सों में बुआई अभी भी चल रही है। उत्पादन ज्यादा होने से कीमतें भी प्रभावित होगी लेकिन वर्तमान समय पर चल रही कीमतों में बहुत ज्यादा गिरावट की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए।दलहन फसलों का रकबा बढऩे की मुख्य वजह पिछले दो सालों में दलहन से किसानों को हुए मोटे मुनाफे को माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि देश के कई हिस्सों में मूंग की नई फसल आनी शुरू हो गई है जबकि सितंबर तक उड़द की नई फसल बाजार में पहुंचने लगेगी। अगले एक दो महीने में दालों की बाजार में आवक बढ़ेगी जिसकी वजह से कीमतों में अच्छी खासी गिरावट हो सकती है। देश में दालों की सालाना खपत 170-180 लाख टन की होती है जबकि 2009-10 में करीब 145 लाख टन दालों का उत्पादन हुआ था। इस बार अगर 165 लाख टन दालों का उत्पादन होता है तो आयात कम होगा। पिछले साल लगभग 34 लाख टन दालों का आयात किया गया था और इस वर्ष 40 लाख टन आयात होने की उम्मीद की जा रही है। क्योंकि देश में दालों की खपत साल दर साल बढ़ती जा रही है। (BS Hindi)
12 अगस्त 2010
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