नई दिल्ली August 26, 2010
सरकार कपास निर्यात के नियमों में ढील देगी, लेकिन देश से बाहर कपास भेजे जाने पर मात्रात्मक प्रतिबंध लागू होगा। वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने कहा कि कर मुक्त कपास निर्यात की मात्रा निर्धारित होगी। इसके बारे में फैसला अगले महीने में हो जाएगा, जब कपास के कुल उत्पादन और इसकी मांग के बारे में आकलन कर लिया जाएगा। पिछले सप्ताह सरकार ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें कपास निर्यात पर प्रतिबंध हटाए जाने की बात कही गई थी। साथ ही यह भी कहा गया था कि 1 अक्टूबर से कपास से निर्यात शुल्क हटा लिया जाएगा। खुल्लर ने कहा, 'कपड़ा मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय और कृषि मंत्रालय के अधिकारियों की एक बैठक 1 सितंबर को होगी। इसमें यह जानकारी ली जाएगी कि इस साल कपास का कितना उत्पादन होगा और कपास की घरेलू मांग कितनी रहेगी। इसके आधार पर हम फैसला करेंगे कि हमारे पास निर्यात के लिए कितनी अतिरिक्त कपास बचती है।'उन्होंने कहा कि सरकार कपास के शुल्क मुक्त निर्यात की मात्रा तय करेगी.. एक बार जब यह सीमा तय हो जाएगी, उसके बाद निर्यात करने पर शुल्क लगेगा। उन्होंने कहा कि निर्यात पर पूंजी सुनिश्चित रहेगी। 'ऑर्डर के मुताबिक निर्यात और घरेलू स्तर पर पर्याप्त उपलब्धत एवं भाव स्थिर बने रहने से परिस्थियां अनुकूल बनी हुई हैं।'सरकार ने इस वर्ष की शुरुआत में कपास को निर्यात के लिए प्रतिबंधित कमोडिटी की सूची में डाल दिया था, ताकि अत्यधिक निर्यात पर लगाम लगाई जाए क्योंकि इस वजह से घरेलू स्तर पर कीमतें बढऩे लगी थीं। निर्यात के लिए प्रतिबंधित सूची में शामिल चीजों के निर्यात के वास्ते विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) से लाइसेंस लेना पड़ता है।गुजरात का बेंचमार्क कपास की किस्म संकर-6 का भाव आज तकरीबन 33,000 रुपये के स्तर पर जा पहुंचा। अगले महीने की डिलीवरी के लिए इसका वायदा भाव 32,500 रुपये रहा। निर्यातक वायदा बाजार में भी कपास की बुकिंग कर रहे हैं।सूत्रों ने यह भी बताया कि कपड़ा मंत्रालय ने इसी महीने की 28 तारीख को एक बैठक बुलाई है, जिसमें कपास निर्यातक और कपड़ा मिलों के प्रतिनिधि स्थिति पर विचार-विमर्श करेंगे। कपास बाजार में अटकलें लगाई जा रही हैं कि सरकारी प्रतिनिधि जब अगले महीने की पहली तारीख को बैठक करेंगे, तो शुरुआती तौर पर कपास निर्यात का कोटा 50 लाख गांठ तक सीमित कर दिया जाएगा और यदि परिस्थियां नहीं सुधरीं, तो यह कोटा 10 लाख गांठ तक भी सीमित किया जा सकता है।अहमदाबाद के एक कपास व्यापारी अरुण दलाल ने कहा, 'ऐसा लग रहा है कि कपास निर्यात के लिए अनुमति देने के मामले में सरकार इस बार सतर्क रवैया अपनाएगी। पिछले वर्ष अत्यधिक निर्यात की वजह से घरेलू स्तर पर भाव बढ़ गए थे और निर्यात रोक दिया गया था।' (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें