नई दिल्ली August 11, 2010
सरकारी आंकडों में भले ही महंगाई दर में कमी आई हो, लेकिन खाद्य वस्तुओं के थोक और खुदरा कीमतों में भारी अंतर से आम उपभोक्ता अभी भी परेशान है। बाजार में थोक के मुकाबले खुदरा में ग्राहकों रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम दोगुने तक चुकाने पड़ रहे हैं। खुदरा कारोबारियों की इस मनमानी ने महंगाई के दौर में आम आदमी की मुश्किलें और बढ़ा दी है। हालात यहां तक है कि थोक में आलू के दाम भारी गिरावट के साथ दिल्ली में करीब 4-4.5 रुपये प्रति किलोग्राम गए है और उत्पादक राज्यों में 3-3.5 रुपये प्रति किलो होने से किसान घाटे में है, लेकिन खुदरा में यही आलू ग्राहकों को 10 रुपये किलो मिल रहा है।यही हाल सेब का है इस बार बंपर उत्पादन के चलते थोक में हिमाचल लाइन सेब के दाम 40 रुपये किलो है, जबकि खुदरा में इसके दाम 70 रुपये किलो है। थोक में 6-9 रुपये किलो बिकने वाली प्याज के दाम खुदरा में 12-16 रुपये, 15-25 रुपये बिकने वाले टमाटर के दाम 30-40 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। खुदरा में दाल और खाद्य तेलों के दाम भी थोक मुकाबले अधिक चल रहे हैं। दिल्ली के दाल कारोबारी अनिल गुप्ता ने बताया कि दिल्ली में अरहर दाल के दाम 48-50 रुपये प्रति किलो है, इसी दाल के खुदरा में दाम 70-72 रुपये प्रति किलो है और खाद्य तेलों में रिफाइंड सोया तेल के थोक में दाम 48 रुपये, सरसों तेल के दाम 49 रुपये प्रति किलो है, जबकि खुदरा में रिफाइंड तेल के 64 रुपये और सरसों तेल के लिए 65 रुपये प्रति किलो दाम चुकाने पड़ रहे हैं।खुदरा में अधिक कीमतों के बारे में आजादपुर मंडी के सब्जी कारोबारी सुभाष चुघ का कहना है कि थोक के मुकाबले खुदरा में वस्तुओं के दाम अधिक होने का खामियाजा आम उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। यह खुदरा कारोबारियों की मनमानी का नतीजा है। एक अन्य थोक कारोबारी ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर कहा कि खुदरा कारोबारियों की इस मनमानी पर सरकार को अंकुश लगाना चाहिए, जिससे कि महंगाई से परेशान उपभोक्ताओं को राहत मिल सके। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें