मुंबई 08 20, 2010
पाकिस्तान में बाढ़ से कपास की फसल खराब होने के कारण पिछले कुछ महीनों से इसके भाव में जो तेजी आई थी, वह कुछ ही वक्त में खत्म हो सकती है। दरअसल दुनिया भर में पिछले साल के मुकाबले इस बार कपास की फसल अच्छी रहने की उम्मीद जताई जा रही है।वैश्विक स्तर पर कपास की बुआई 15 फीसदी और भारत में 10 फीसदी अधिक हुई है। रकबा बढऩे की खबर के साथ ही कपास में तेजी के दिन भी खत्म हो सकते हैं। पिछले 2 महीने में कपास का भाव 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुका है।फिलहाल देसी बाजार में इसका भाव 32,200 रुपये प्रति कैंडी है, जो जून के दूसरे हफ्ते में 28,986 रुपये और 16 जुलाई को 29,280 रुपये प्रति कैंडी था। तेजी की सबसे बड़ी वजह पाकिस्तान में बाढ़ की वजह से फसल खराब होना माना जा रहा है। इससे वैश्विक स्तर पर उत्पादन कम होने की आशंका खड़ी हो गई है, जिसका फायदा सटोरिये उठा रहे हैं।पाकिस्तान में तकरीबन 1 करोड़ कैंडी कपास का उत्पादन होता है, जो पूरी दुनिया के कपास उत्पादन का तकरीबन 8 फीसदी है। ताजा आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर कपास का रकबा पिछले साल की अपेक्षा 15 फीसदी ज्यादा है।नतीजतन इस साल दुनिया भर में कपास का उत्पादन भी करीब 15 फीसदी बढ़कर लगभग1,150 लाख गांठ (एक गांठ बराबर 175 किलोग्राम) होने की उम्मीद जताई जा रही है। पिछले साल 1,000 लाख कपास गांठ का उत्पादन हुआ था। भारतीय कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस बार कपास की बुआई पिछले साल से 10 फीसदी अधिक है। 14 अगस्त तक देश में 105 लाख हेक्टयर पर कपास की बुआई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 95 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में ही कपास की बुआई हो पाई थी।कपास का उत्पादन ज्यादा होने की स्थिति में इसकी कीमतें प्रभावित होने की बात की जा रही है। जिंस कारोबार के जानकार अमर सिंह के अनुसार देश में कपास की कुल खपत तकरीबन 260 लाख गांठ की है जबकि इस साल उत्पादन 340 लाख गांठ से भी ज्यादा का हो सकता है। उत्पादन ज्यादा होने से कीमतें कम होगी।हालांकि कीमतों में ज्यादा गिरावट की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। कॉटन एक्सचेंज के पूर्व चेयरमैन किशोरीलाल झुनझुनवालाकहते हैं कि आज भी अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में घरेलू बाजार में कपास की कीमतें कम हैं और दोबारा निर्यात शुरू किए जाने के बाद घरेलू बाजार भी वैश्विक बाजार की तर्ज पर ही चलेगा। मतलब कीमतें नीचे नहीं जाएंगी। अक्टूबर 2009 से मई 2010 के बीच कपास की कीमतें वैश्विक स्तर पर 35.5 फीसदी तक बढ़ गई थीं। (BS Hindi)
21 अगस्त 2010
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